कृषि कानून वापसी : चुनाव से पहले PM मोदी के ऐलान का उत्तराखंड में बड़ा असर, तराई में बदलेंगे सियासी समीकरण!
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चंदन बंगारी
रुद्रपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानून वापस लिये जाने की घोषणा के बाद तराई के किसानों में खुशी का माहौल है. उत्तराखंड के किसान इसे आंदोलन की जीत करार दे रहे हैं. वहीं, इस फैसले से तराई के सियासी समीकरणों में बड़ा प्रभाव पड़ने जा रहा है. भाजपा इस फैसले से जहां उत्साहित दिख रही है, वहीं किसानों को अपने पक्ष में मानकर चल रही कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है. कांग्रेस इसे सीधे तौर पर विधानसभा चुनाव से पहले किसानों को रिझाने की नाकाम कोशिश करार दे रही है तो बीजेपी अब पूरी तरह से इस भरोसे में है कि किसान उसके पक्ष में आ जाएंगे.
तराई में कितना बड़ा है ये मुद्दा?
दरसअल तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में तराई के किसान बेहद सक्रिय रहे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय, बीजेपी विधायक हरभजन सिंह चीमा, सौरभ बहुगुणा, डॉ. प्रेम सिंह राणा जब इन इलाकों में पहुंचे, तो आंदोलनकारी किसानों ने इन सभी का खुलकर विरोध किया था. भाजपा के खिलाफ किसानों की बढ़ती नाराज़गी को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपने पक्ष में भुनाने में पूरी ताकत से जुटी दिखीं. किसानों के गुस्से ने भाजपा के माथे पर बल ला दिया था.
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भाजपा की चिंता की की बड़ी वजह यही थी कि तराई की नौ विधानसभा सीटों को किसान ही डॉमिनेट करते हैं. खास तौर पर नानकमत्ता, सितारगंज, गदरपुर, बाजपुर और काशीपुर में किसानों का बड़ा प्रभाव है. दूसरे यहां उत्तर भारतीय राज्यों और सिखों की संख्या भी अच्छी खासी प्रभावशाली होने के कारण राजनीतिक समीकरण भाजपा के पक्ष में नहीं दिख रहे थे. लेकिन मोदी सरकार के फैसले के बाद भाजपा अब फ्रंट फुट पर खेलने की रणनीति बनाने के मूड में आ गई है.
क्या समझा रहे हैं बयान?
फिलहाल कांग्रेस इस मामले पर बैकफुट पर आती दिख रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौहान ने कहा कि भाजपा हमेशा किसानों की पक्षधर रही है. तीन कानूनों के वापस होने के बाद अब किसान बीजेपी के पक्ष में खड़ा रहेगा. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय ने इसे चुनावी स्टंट करार दिया है. उन्होंने कहा कि अगर ये फैसला समय रहते लिया जाता, तो 700 किसानों को शहीद नहीं होना पड़ता.
वहीं, स्थानीय कांग्रेस नेता इंद्रजीत सिंह का कहना है कि भाजपा को ये कानून वापस लेने का फैसला तो लेना ही था, आज नहीं तो कल क्योंकि जीत किसानों की ही होनी थी. किसान समझते हैं कि चुनाव से ऐन पहले ही क्यों यह ऐलान किया गया. वहीं, किसान नेता अमन ढिल्लों ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने अभी सिर्फ कहा है, सदन में जिस तरह काले कानून बनाए गए थे, उसी तरह जब लिखित में वापस होंगे, तभी किसान इसे सच मानेंगे.’
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Tags: Farm laws, Three Farm Laws, Uttarakhand Assembly Election 2022, Uttarakhand news, Uttarakhand politics
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