क्या है एंट्रिक्स-देवास मल्टीमीडिया विवाद, आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार ने क्यों ली है राहत की सांस
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नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने देवास मल्टीमीडिया का समापन करने के आदेश के खिलाफ कंपनी की याचिका को सोमवार को खारिज कर दी. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम ने देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को खारिज कर दिया.
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने न्यायाधिकरण की बेंगलुरु पीठ के पूर्व के आदेश को बरकरार रखा जिसने 25 मई, 2021 को देवास मल्टीमीडिया को बंद करने और इस काम के लिए एक अनंतिम परिसमापक नियुक्त किया. एनसीएलटी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन की एक याचिका पर यह निर्देश दिया था.
एनसीएलटी ने कहा था कि देवास मल्टीमीडिया को 2005 में एक समझौते में प्रवेश करके बैंडविड्थ प्राप्त करने के लिए एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन के तत्कालीन अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी तरीके से बनाया गया था, जिसे बाद में सरकार ने रद्द कर दिया था.
इस आदेश को देवास मल्टीमीडिया और उसके शेयरधारक देवास एम्प्लॉइज मॉरीशस प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी की चेन्नई पीठ के समक्ष चुनौती दी थी, जिसने याचिका खारिज कर दी थी.
देवास के अनुसार, इस समझौते का उद्देश्य अपनी तरह का पहला और जबरदस्त नवोन्मेष था. नतीजतन, देवास ने ऐसी तकनीकों को पेश किया और उनका उपयोग किया जो पहले कभी नहीं थीं और एंट्रिक्स के लिए एक बड़ा राजस्व उत्पादक था. देवास मल्टीमीडिया की स्थापना 17 दिसंबर 2004 को हुई थी.
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Tags: ISRO, Nirmala sitharaman
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