Politics of Uttarakhand: कांग्रेस खोल सकती है दरवाज़े, पर हरक सिंह की वापसी में इतनी मुश्किल क्यों?
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देहरादून. राजनीति में आम तौर पर ऐसा होता है कि मज़बूत जनाधार वाले नेता को कोई भी पार्टी हाथों हाथ लेती है. हालांकि चुनाव के मुकाबिल खड़े उत्तराखंड में इसके उलट मंज़र दिख रहा है, कम से कम ठाकुर नेता हरक सिंह रावत के मामले में तो ऐसा है ही. पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए हरक सिंह के भाजपा से निष्कासन को 72 घंटे से ज़्यादा के समय के बाद हरक सिंह के कांग्रेस में आने की खबरें सूत्रों के हवाले से आ रही हैं. लेकिन कांग्रेस में शिद्दत से शामिल होने के लिए दिल्ली में कई दरवाज़ों पर दस्तक दे रहे हरक का स्वागत करने के लिए दरवाज़े खुलने में इतनी मुश्किल क्यों हो रही है?
बीते सोमवार को खबर आई थी कि हरक सिंह कांग्रेस जॉइन करेंगे. फिर मंगलवार और बुधवार को भी यही खबरें रहीं कि आज जॉइन करेंगे, लेकिन गुरुवार को भी इंतज़ार ही चल रहा है कि कब करेंगे. इस बीच, हरक सिंह ने कहा, ‘एक नहीं मैं एक लाख बार अपने बड़े भाई हरीश रावत से माफी मांगता हूं.’ 2016 में कांग्रेस की सरकार को गिराने में प्रमुख रहे हरक सिंह से जब न्यूज़ 18 ने कांग्रेस के चुनाव अभियान प्रमुख हरीश रावत के बारे में पूछा, तब उन्होंने यह बात कही थी. इसके बाद हरीश रावत कह चुके हैं कि पार्टी नेतृत्व ही हरक के बारे में फैसला करेगा.
आखिर क्यों कांग्रेस में है हरक का विरोध?
2016 में हरीश रावत सरकार में मंत्री रहते हुए हरक सिंह ने अपने साथ नौ और विधायकों को तोड़ा था, जो सभी बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बारे में तब और कई बार कहा कि उन नौ नेताओं ने लोकतंत्र की हत्या की थी इसलिए वो उनकी कांग्रेस वापसी के विरोध में हैं. अब हरीश रावत का समर्थन करने वाले गुट ने पार्टी के नेतृत्व को लिखित में हरक सिंह की वापसी का विरोध कर दिया है.
हरीश रावत समर्थक कांग्रेस में हरक सिंह रावत की वापसी के विरोध में हैं.
केदारनाथ से विधायक मनोज रावत ने लिखा है कि हरक सिंह को कांग्रेस में वापस लेना उन सभी समर्पित कार्यकर्ताओं का अपमान होगा, जिन्होंने कठिन समय में पार्टी का साथ दिया. वहीं, कांग्रेस नेता एसपी सिंह ने तो हरक को वापस लेने पर आत्म बलिदान तक की धमकी दे डाली है. बीजेपी से निकाले गए हरक के खिलाफ कई कांग्रेसियों की शिकायतें देहरादून में केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश के पास तक पहुंची हैं.
आखिर क्यों ‘प्रॉब्लम चाइल्ड’ हैं हरक?
न्यूज़18 संवाददाता के साथ पहले भी एक इंटरव्यू में खुद हरक सिंह ने कांग्रेस से बगावत का कारण मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा बताई थी. इधर, भाजपा में भी वह दबाव की राजनीति करते रहे और भाजपा उन्हें झेलती रही. अपने और अपनी बहू अनुकृति गुसाईं के टिकट के लिए भाजपा पर दबाव बना रहे हरक को झटका बीते रविवार को तब लगा, जब सीएम धामी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक से छुटकारा पा लेने का फैसला कर लिया.
अब कांग्रेस के पाले में गेंद है और हरक सिंह को ‘प्रॉब्लम चाइल्ड’ माना जा रहा है. कुछ नेताओं का रुख नरम होने के बाद भी खास तौर से, हरीश रावत के समर्थक कह रहे हैं कि हरक भविष्य में फिर बागी तेवर दिखा सकते हैं. एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हरक टीम प्लेयर नहीं हैं. वह खुद सीएम बनना चाहते हैं. जबकि कांग्रेस वैसे ही गुटबाज़ी से जूझ रही है, हरक पार्टी में और समस्या ही खड़ी करेंगे.’
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Tags: Harak singh rawat, Uttarakhand Assembly Election, Uttarakhand Congress
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