उत्तराखंड

Tehri Lake : वॉटर स्पोर्ट्स के बाद एक और आकर्षण, पर्यटक ले सकेंगे दुर्लभ जड़ी बूटियों का आनंद

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सौरभ सिंह
टिहरी. गढ़वाल अंचल की सबसे खास झील को पर्यटन के क्षेत्र में विश्व मानचित्र पर पहचान दिलाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसी​ सिलसिले में टिहरी झील मेगा प्रोजेक्ट के अंतर्गत झील के साथ ही आसपास के क्षेत्र को भी पर्यटन की दृष्टि से डेवलप किए जाने की योजना है. इसके तहत बॉटैनिकल गार्डन को भी अब पर्यटन सर्किट से जोड़ा जाएगा. इस गार्डन में दुर्लभ जड़ी बूटियों का एक अलग ही संसार है, जहां अब पर्यटकों का मेला लगने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ने से रोज़गार के नए अवसर भी क्षेत्र में खुलेंगे और इसे लेकर लोग रोमांचित दिख रहे हैं.

डैम की झील में पुरानी टिहरी के डूबने के बाद वहां की दुर्लभ जड़ी बूटियों और पेड़ पौंधों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए वर्ष 2000 में टिहरी झील के पास कोटी कालोनी में बॉटैनिकल गार्डन विकसित किया गया था. यहां 250 से अधिक दुर्लभ जड़ी बूटियों और पेड़ पौंधों को संरक्षित किया गया है. इस बॉटैनिकल गार्डन में ग्रहों और राशि के अनुसार विभिन्न पेड़ पौधों की प्रजातियां हैं, जो और कहीं मिलना मुश्किल है.

अनदेखी और दुर्लभ प्रजातियां हैं यहां
वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. प्रमोद उनियाल ने बताया कि इस गार्डन में रुद्राक्ष, अर्जुन, अमलतास, नागकेसर, कचनार, हिसर, करंदू, तुंगला सहित 250 से अधिक दुर्लभ जड़ी बूटियों और पेड़ पौधों की प्रजातियां शामिल हैं, जिनका अपना औषधीय महत्व है. जानकारों का भी कहना है कि टिहरी के इस बॉटैनिकल गार्डन में ऐसी दुर्लभ प्रजातियां शामिल हैं, जो और कहीं नहीं पाई जाती हैं.

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टिहरी झील के पर्यटन सर्किट में कोटी की वनस्पति वाटिका को भी जोड़ा जाएगा.

बॉटैनिकल गार्डन के कर्मचारी जगदीश रावत ने कहा कि अनदेखी के चलते आज तक इसके बारे में लोगों को पता नहीं था, लेकिन अब टिहरी झील मेगा प्रोजेक्ट के तहत इसे भी टिहरी झील पर्यटन सर्किट से जोड़ा जाएगा. इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है. टिहरी झील घूमने आने वाले पर्यटक झील के साथ साथ इस बॉटैनिकल गार्डन का भी दीदार कर सकेंगे और दुर्लभ जड़ी बूटियों और पेड़ पौधों और उनके उपयोग के बारे में जान सकेंगे.

बॉटैनिकल टूरिज़्म से सभी को आस
स्थानीय लोगों का भी कहना है कि बॉटैनिकल गार्डन को पर्यटकों के लिए खोला जाना चाहिए ताकि बोटिंग के साथ साथ पर्यटक अन्य प्राकृतिक नज़ारों का भी आनंद उठा सकें. ज़िला पर्यटन अधिकारी एसएस यादव और कोटी कॉलोनी के सभासद पवन शाह भी इस फैसले को लेकर उत्साहित नज़र आ रहे हैं और इसे पर्यटकों के लिए ही एक नया अनुभव नहीं बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी रोज़गार बढ़ाने वाला कदम बता रहे हैं.

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