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कैप्टन के बाद चन्नी पर भारी पड़े सिद्धू, एडवोकेट जनरल की छुट्टी, DGP पर गिरेगी गाज!

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नवजोत सिंह सिद्धू और चरनजीत सिंह चन्नी. (तस्वीर-PTI)

नवजोत सिंह सिद्धू और चरनजीत सिंह चन्नी. (तस्वीर-PTI)

Channi Vs Siddhu: नवजोत सिंह सिद्धू की आपत्ति के बाद एपीएस देओल की नियुक्ति विवादों में आ गई थी. सिद्धू ने 28 सितंबर को अन्य बातों के अलावा देओल की नियुक्ति का विरोध करते हुए पीपीसीसी प्रमुख के पद से इस आधार पर इस्तीफा दे दिया था कि देओल पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी और परमराज सिंह उमरानंगल के बचाव पक्ष के वकील थे. दोनों बहबल कलां पुलिस फायरिंग मामले में आरोपी थे. हालांकि देओल की नियुक्ति के बाद यह भी बहस जारी थी कि वह सैनी और उमरानंगल के वकील होने के नाते, न तो पेश हो पाएंगे और न ही संबंधित मामलों में राज्य को सलाह दे पाएंगे.

चंडीगढ़. पंजाब सरकार (Punjab Government) ने आखिरकार राज्य के एडवोकेट जनरल एपीएस देओल (APS Deol) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. इसकी घोषणा खुद राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने मंगलवार को कर दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब डीजीपी भी बदले जा सकते हैं. इसी के साथ पंजाब कांग्रेस में लंबे समय तक कैप्टन के साथ चले विवाद में जीत हासिल करने के बाद अब नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर भारी पड़ते दिख रहे हैं. दरअसल देओल को लेकर राज्य कांग्रेस में एक बार फिर नया विवाद पैदा हो गया था.

इससे पहले एपीएस देओल ने एक बयान जारी कर सिद्धू पर आरोप लगाया था कि प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख ‘सरकार के कामकाज में बाधा डाल रहे हैं’ और उनकी टिप्पणियां ‘बेअदबी तथा ड्रग्स मामले’ में न्याय सुनिश्चित करने की सरकार की कोशिशों को पटरी से उतार रही हैं.

देओल ने भी सिद्धू पर लगाए आरोप
देओल ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए अपने राजनीतिक सहयोगियों के खिलाफ गलत सूचना फैला रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि आगामी चुनावों को देखते हुए सिद्धू पंजाब के महाधिवक्ता के संवैधानिक पद का राजनीतिकरण कर अपने स्वार्थी राजनीतिक लाभ के लिए कार्य कर रहे हैं. वह पार्टी के कामकाज को खराब करने की भी कोशिश कर रहे हैं.

सिद्धू की आपत्ति के बाद मुश्किल में आए देओल
सिद्धू की आपत्ति के बाद देओल की नियुक्ति विवादों में आ गई थी. सिद्धू ने 28 सितंबर को अन्य बातों के अलावा देओल की नियुक्ति का विरोध करते हुए पीपीसीसी प्रमुख के पद से इस आधार पर इस्तीफा दे दिया था कि देओल पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी और परमराज सिंह उमरानंगल के बचाव पक्ष के वकील थे. दोनों बहबल कलां पुलिस फायरिंग मामले में आरोपी थे. हालांकि देओल की नियुक्ति के बाद यह भी बहस जारी थी कि वह सैनी और उमरानंगल के वकील होने के नाते, न तो पेश हो पाएंगे और न ही संबंधित मामलों में राज्य को सलाह दे पाएंगे.

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