उत्तराखंड

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने ‘‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’ आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया शुभारम्भ

कार्यशालाओं में अर्जित किया ज्ञान किसानों तक पहुंचाना नितांत आवश्यक, सीधे संवाद हेतु राज्य में स्थापित होंगे किसान कॉल सेंटर 

देहरादून। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने आज राजपुर रोड़ स्थित एक होटल में एपिडा, भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से औद्यानिक उत्पादों तथा प्रदेश में स्थापित खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के प्रसंस्कृत उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देते हुए किसानां की आय को बढ़ाने तथा राज्य के औद्यानिकी उत्पादों को राष्ट्रीय तथा ग्लोबल बाजार उपलब्ध करवाने के लिए आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। उद्घाटन सत्र को कृषि सचिव शैलेश बगौली तथा ‘‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’’  के चेयरमैन अगंमुत्थु ने वर्चुअल माध्यम से दिल्ली से संबोधित किया।

इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि औद्यानिक उत्पादों के निर्यात प्रोत्साहन संबंधी विषय पर आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवसर पर भारत के  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं कृषि मंत्री, भारत सरकार नरेन्द्र सिंह तोमर का धन्यवाद ज्ञापित करता हूॅं। जिनके कुशल नेतृत्व में पूरे देश के साथ-साथ उत्तराखण्ड राज्य में भी औद्यानिक उत्पादों (फल व सब्जी) के निर्यात को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।
साथ ही मैं  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखण्ड सरकार का भी हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता हूॅ। जिनके मार्ग निर्देशन में उत्तराखण्ड राज्य में औद्यानिक क्षेत्र का समग्र विकास एवं कास्तकारों की आय में गुणात्मक वृद्धि हेतु निरंतर कार्य किया जा रहा है। साथ ही विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत देय राजसहायता की धनराशि में भी वृद्धि की जा रही है।
अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि ‘‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’’ के वित्तीय सहयोग से उत्तराखण्ड में फलों एवं सब्जियों के निर्यात को प्रोत्साहन देने हेतु विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।

मुझे अवगत कराया गया है, कि इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में ऐसे फलों व सब्जियों के तुड़ाई उपरान्त प्रबन्धन की विभिन्न नवीनतम तकनीकी का व्याख्यान प्रदान किया जायेगा। जिनकी विदेशों में अत्यधिक मांग होती है। साथ ही निर्यात हेतु विभिन्न फलों एवं सब्जियों के मानक एवं प्रोटोकॉल विषय पर भी विस्तृत रूप से व्याख्यान के माध्यम से अवगत कराया जायेगा। उच्च गुणवत्तायुक्त फलों एवं सब्जियों के निर्यात हेतु यह भी अत्यन्त आवश्यक है कि वह विभिन्न रोगों एवं कीटों से मुक्त हों, जिस हेतु प्लान्ट क्वारन्टाईन विषय पर तथा औद्यानिक फसलों में कीटनाशकों, फंफूदनाशकों एवं अन्य रसायनों के प्रबन्धन पर भी भी प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। औद्यानिक उत्पादों के निर्यात में पैकेजिंग की अहम भूमिका होती है, जिस हेतु प्रशिक्षण में विशेष जानकारी प्रदान की जायेगी। विश्व में औद्यानिक उत्पादों के निर्यात के बढ़ते हुए बाजार में भविष्य की सम्भावनाओं पर भी प्रकाश डाला जायेगा।

 

उत्तराखण्ड की कृषि जलवायु एवं भौगोलिक परिस्थितियॉ विभिन्न औद्यानिक फसलों यथा – फल, सब्जी, मसाला, पुष्प, मशरूम, शहद व अन्य मौन उत्पादों के उत्पादन हेतु अत्यन्त अनुकूल है, जिनके उत्पादन एवं निर्यात की राज्य में अपार सम्भावनाएॅ विद्यमान हैं। वर्तमान में उत्तराखण्ड से सम्भावनाओं के अनुकूल औद्यानिक फसलों व प्रसंस्कृत उत्पादों का निर्यात नहीं हो पा रहा है। मुझे प्रसन्नता है कि कृषकों के औद्यानिक उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु एपिडा, भारत सरकार का कार्यालय किसान भवन, में स्थापित किया जा रहा है। जल्द ही एपिडा का कार्यालय स्थापित स्थापित हो जाएगा। मुझे आशा ही कि इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम से उद्यान विभाग के अधिकारी/कर्मचारी निर्यात हेतु आवश्यक विभिन्न नवीनतम तकनीकी का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।

सभी अधिकारियों एवं कार्मिकों से खरी – खरी बात करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि आयोजन तो बहुत शानदार है परंतु यह जरूर ध्यान रखिएगा कि यह प्रशिक्षण सिर्फ इस हॉल तक ही सीमित ना रह जाए। यह लाभादायक जानकारी हमारे किसानों तक पहुंचनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विभागीय आधिकारियों के पास ताजा तथा भरोसेमंद डाटा बैंक होना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों के पारम्परिक ज्ञान के साथ ही आधुनिक तकनीक का मिश्रण करते हुए किसानों की आय बढ़ाने का कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि अभी तो दो महीने ही हुए हैं परंतु यह जान लीजिए कि हमारा विभाग भविष्य में राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला मूल क्षेत्र बनने वाला है। इसलिए सभी को टीम वर्क के साथ और काम करने की शैली अपनाने की आदत डालनी होगी।

उन्होंने कहा कि अन्य हिमालयी राज्यों के अनुभवों का लाभ लेने के लिए शीघ्र ही हम उत्तराखण्ड में समस्त हिमालयी राज्यों के कृषि मंत्रियों का एक समिट भी करने जा रहे हैं। लेकिन उससे पूर्व ही किसानों से सीधा संवाद कायम करने के लिए किसान कॉल सेंटर स्थापित करने का कार्य कर लिया जाएगा।
इस अवसर पर कृषि सचिव, शैलेश बगौली, एपीडा के प्रतिनिधि सीबी सिंग, निदेशक कृषि केसी पाठक, निदेशक उद्यान हरमिन्दर सिंह बावेजा, निदेशक रेशम, एके यादव समस्त जनपदों के उद्यान अधिकारी एवं अन्य विभागीय अधिकारी कर्मचारीगण भी उपस्थित रहे।

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