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Asteroid News: धरती के निकट है नई मुसीबत! करीब से गुजरेगा परमाणु बम से ज्यादा ताकतवर एस्टेरॉयड

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Asteroid News: हाल ही में नेटफ्लिक्स पर एक फिल्म आई है, डोंट लुक अप. फिल्म की कहानी दो वैज्ञानिकों की है, जो पूरी दुनिया को यह बताने की कोशिश में लगे हुए हैं कि एक एस्टेरॉयड जो माउंट एवरेस्ट से भी बड़ा है, बहुत तेजी से धरती के निकट आ रहा है. उनकी बातों को पहले नजरअंदाज किया जाता है, लेकिन फिर सभी को समझ आता है कि वैज्ञानिक कितना सही है. लगता है फिल्म में दिखाई बात हकीकत में भी सच हो सकती है.

रूस के वैज्ञानिकों ने कहा है कि अप्रैल 2029 के आस पास यानी इस दशक के अंत तक एक एस्टेरॉयड धरती के पास से गुजरेगा. इसका नाम वैज्ञानिकों ने ग्रीक देवता एपोफिस (अराजकता का अवतार) के नाम पर रखा है, यह धरती पर मौजूद सबसे बड़े परमाणु बम से भी ज्यादा ताकतवर है. एक अनुमान के मुताबिक चट्टानों का एक तूफान जिसे एपोफिस नाम दिया गया है, वह धरती से महज 39,000 किलोमीटर की दूरी पर है.

यह कितना करीब है, इस आप इस तरह समझ सकते हैं कि न्यूज एजेंसी स्पुतनिक में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में जो सैटेलाइट हमारे टेलीविजन पर चैनलों को बीम करते हैं, वह जितनी दूरी पर हैं यह उतनी ही दूरी है. नासा ने भी कुछ वक्त पहले ऐसी भविष्यवाणी की थी, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि 2068 तक इसके धरती से टकराने की आशंका थी, लेकिन यह अनुमान गलत निकला.

एपोफिस को नासा के वैज्ञानिकों ने सबसे पहली बार 2004 में देखा था और उस दौरान इसे धरती के लिए सबसे ज्यादा घातक एस्टेरॉयड बताया था. यह एस्टेरॉयड करीब 1115 फीट डायमीटर का है. जैसे-जैसे यह धरती के निकट आएगा, इसके बारे में जानकारी और साफ हो पाएगी, हालांकि अभी तक ऐसा माना जा रहा है कि यह धरती से टकराएगा नहीं बल्कि उसके बहुत पास से गुजरेगा.

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मार्च में इस अंतरिक्षीय चट्टान को नासा ने धरती के लिए खतरे की सूची से बाहर कर दिया था. अब एजेंसी इसे सौरमंडल अवशेष का अध्ययन करने का अवसर कह रही है. क्योंकि यह 2029 तक धरती के बेहद निकट होगा.

वहीं साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक यह एक उल्लेखनीय घटना होगी, जब इतना बड़ा एस्टेरॉयड धरती के इतनी पास से गुजरेगा लेकिन इससे सैटेलाइट और स्पेस स्टेशन को कोई असर नहीं होगा. अगर यह एस्टेरॉयड धरती से टकराता है तो इससे जो उर्जा निकलेगी वह 1,717 मेगाटन के बराबर होगी. रूस के शोधर्थियों का मानना है कि यह सोविय सार बाम्बा जिसका 1961 में परीक्षण किया गया था और जिसे अब तक का सबसे बड़ा परीक्षण माना जाता है, उससे भी 30 गुना ज्यादा ताकतवर होगा.

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