म्यांमार में सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने के आरोप में आंग सान सू ची को चार साल की जेल
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यंगून. म्यांमार की एक अदालत ने सोमवार को अपदस्थ नेता आंग सान सू ची (Aung San Suu Kyi) को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने और कोविड नियमों का उल्लंघन करने के लिए चार साल के कारावास की सजा दी है. जुंटा के प्रवक्ता जॉ मिन टुन ने कहा- सू ची को टधारा 505 (बी) के तहत दो साल की कैद और प्राकृतिक आपदा कानून के तहत दो साल की कैद की सजा सुनाई गई है.’ 1 फरवरी 2021 को सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से 76 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता के खिलाफ लाए गए मामलों में यह पहला फैसला है.
सू ची की पार्टी ने पिछले नवंबर के आम चुनाव में शानदार जीत हासिल की थी. सेना, की पार्टी कई सीटों पर हार गई और उसने बड़े पैमाने पर मतदान धोखाधड़ी का दावा किया. हाालंकि स्वतंत्र चुनाव पर्यवेक्षकों ने किसी भी अनियमितता की जानकारी नहीं दी.
कैसे हुआ तख्तापलट?
धोखधड़ी का आरोप लगाते हुए सेना ने यूनाइटेड इलेक्शन्स कमीशन (UEC) से मांग की वो या फिर सरकार या उसके नुमाइंदे यानी चुने हुए नेता साबित करें कि चुनाव में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई और सबकुछ पारदर्शिता से हुआ है. सेना की इस मांग को पूरा करने से इनकार करते हुए नई चुनी व्यवस्था ने अपना काम शुरू कर दिया.
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इसके बाद 1 फरवरी को म्यांमार की सेना ने नव-निर्वाचित संसद की बैठक रोकते हुए नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. बता दें कि साल 2011 से पहले इस देश में सेना का ही कब्जा था, यानी लोकतांत्रिक की बजाए सैन्य सरकार थी. अब तख्तापलट के बाद सरकार सेना प्रमुख मिन आंग लाइंग के हाथ में आ गई है.
बता दें म्यांमार में संविधान भी सेना का ही बनाया हुआ है. साल 2008 में सेना ने संविधान ड्राफ्ट कर कई बदलाव किए. तब आंग सान सू ची की पार्टी ने जो लगातार लोकतांत्रिक शासन की बात करती रही थी, उन्होंने संविधान के हवाले से हुए साल 2010 के चुनावों का बहिष्कार कर दिया था.
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Tags: Aung San Suu Kyi, Myanmar, Myanmar Election, Myanmar Violence, World news
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