उत्तराखंड

PM मोदी के दौरे से पहले चलीं हरक सिंह की ‘वापसी’ की खबरें, क्या है सच, हरक क्यों जॉइन नहीं करेंगे कांग्रेस?

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देहरादून. उत्तराखंड की बीजेपी सरकार में मंत्री हरक सिंह रावत उन नौ विधायकों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने 2016 में हरीश रावत सरकार में बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. इनमें से एक विधायक एवं बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य ने पिछले महीने ही अपने धायक पुत्र संजीव आर्य के साथ वापस कांग्रेस जॉइन कर ली. तबसे ही लगातार हरक सिंह के भी कांग्रेस में जाने की चर्चाएं तैरती रही हैं. एक बार फिर ये चर्चा सियासत के गलियारों में तेज़ हुई है, जिसका खंडन खुद हरक सिंह रावत ने न्यूज़18 के साथ बातचीत में किया है.

वास्तव में, हरक सिंह के पार्टी लाइन से बाहर दिए गए कई बयान और कांग्रेस इलेक्शन कैंपेन कमेटी के चेयरमैन हरीश रावत से उनकी बयानों की टयूनिंग, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह से उनकी नज़दीकी ने कांग्रेस में उनकी घर वापसी की खबरों को और बल दिया. हालांकि इन चर्चाओं ने बीजेपी के शीर्ष नेताओं के भी कान खड़े कर दिए थे. बीजेपी के करीब सभी शीर्ष नेता किसी न किसी बहाने हरक सिंह से मुलाकात कर चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक तक सभी के हरक सिंह को साधने की खबरें आती रही हैं. अब इस मामले में नये मोड़ को देखते हैं.

पीएम मोदी आ रहे हैं इसलिए…
हरक सिंह ने कहा कि चार दिसंबर का प्रधानमंत्री देहरादून आ रहे हैं इसलिए ये बेसिरपैर की बातें जान बूझकर उड़ाई जा रही हैं. उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया में जिसका जो मन आता है, वो लिख देता है. इस तरह की खबरें अगर आती रहेंगी तो मीडिया पर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा. इस तरह की खबरें छापते वक्त किसी ने मुझे पूछा तक नहीं.’

कैसे बोलती रही हरक सिंह की तूती?
अपने देहरादून दोरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लंच टेबल पर हरक सिंह को अपने बाजू वाली सीट पर बैठाए रखा, तो प्रधानमंत्री के केदारनाथ दौरे में मंच पर बैठे मंत्रियों में से एक हरक सिंह भी थे. इस बीच, हरक सिंह को विभागीय कामकाज में भी फ्री हैंड दे दिया गया. नतीजतन हरक सिंह ने फॉरेस्ट विभाग में तीन दर्जन के करीब ट्रांसफर कर डाले. विभागीय चीफ 1986 बैच के राजीव भरतरी को हटाकर हरक सिंह 1987 बैच के आईएफएस अपने पसंदीदा विनोद सिंघल की ताजपोशी करने में कामयाब रहे.

आखिर कितने सेटल हो चुके हैं हरक सिंह?
पिछले दो सालों में सबसे विवादास्पद रहे श्रम विभाग के अधीन वाले कर्मकार कल्याण बोर्ड में भी वो अपना मन पसंद सचिव बृजेश संत को लाने में सफल रहे. सूत्र ये भी बताते हैं कि हरक सिंह मौजूदा कोटद्वार की अपनी विधानसभा सीट को छोड़कर अन्य मनपसंद सीट से चुनाव लड़ने के लिए भी हाईकमान से हरी झंडी ला चुके हैं. लैंसडौन की एक सीट पर हरक सिंह अपनी बहू को चुनाव लड़ाना चाहते हैं. कुल मिलाकर हरक सिंह का बीजेपी में जिन बातों को लेकर मतभेद था, वो सब सेटल हो चुके हैं.

हरक सिंह ने कैसे किया खंडन?
इन तमाम बातों से साफ है कि अब इस बात की संभावनाएं न के बराबर हैं कि हरक सिंह कांग्रेस में वापसी करें. न्यूज़18 से बातचीत में हरक सिंह ने खुद इस तरह की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि उनकी कांग्रेस में जाने की चर्चाएं मनगढ़ंत और बेबुनियाद हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मीडिया में इस तरह की खबरें आईं लेकिन किसी ने उनसे इस बारे में बातचीत तक नहीं की.

आपके शहर से (देहरादून)

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Tags: Harak singh rawat, Uttarakhand Assembly Election 2022, Uttarakhand news, Uttarakhand politics



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