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Uttarakhand Election में पलायन का मुद्दा! रिवर्स माइग्रेशन पर BJP ने किया बड़ा दावा, सियासत जारी

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देहरादून. विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, तो कई मुद्दे उत्तराखंड की राजनीति में गरमा रहे हैं. इन्हीं में से एक मुद्दा है राज्य के गांवों से बड़ी संख्या में हो रहा पलायन. कभी उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के पीछे वजह रहा यह मुद्दा चुनाव के समय में राजनीतिक दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का कारण बन चुका है. दरअसल कोरोना काल में जब तमाम लोग अपने घरों को लौटे तो उत्तराखंड में पलायन के शिकार गांवों में एक बार फिर उम्मीद की रोशनी दिखने लगी थी. तब दावे किए गए थे कि इस रिवर्स माइग्रेशन को स्थायी बनाया जाएंगे और अब लोग वापस न जाएं, इसके लिए तमाम कवायदें की जाएंगी. लेकिन दावे और हकीकत में अंतर कितना है?

दावा है उत्तराखंड सरकार का और दूसरी तरफ है पलायन आयोग की रिपोर्ट. उत्तराखंड सरकार कह रही है कि आपदा में घरों को लौटे लोगों में से 20 फीसदी को दोबारा पलायन से रोका गया. हालांकि यह दावा सरकार के पिछले दावे की तुलना में भी काफी कमज़ोर है. वास्तव में, उत्तराखंड सरकार ने पलायन आयोग बनाया था और आयोग की ही रिपोर्ट की मानें तो राज्य से अब तक लाखों लोग शहरों या अन्य इलाकों में जा चुके हैं. पलायन आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड से करीब 60 प्रतिशत आबादी यानी 32 लाख लोग अपना घर छोड़ चुके हैं.

कितना हैरान करती है आयोग की रिपोर्ट?
पलायन आयोग की रिपोर्ट कहती है कि 2018 में उत्तराखंड के 1,700 गांव भुतहा हो चुके थे, जबकि करीब एक हजार गांव ऐसे हैं, जहां 100 से कम लोग बचे हैं. कुल मिलाकर 3900 गांवों से पलायन हुआ है. सबसे ज़्यादा पलायन गढ़वाल के पौड़ी ज़िले और अल्मोड़ा ज़िले से हुआ है. आलम यह है कि पौड़ी में कई गांव तो जर्जर हो चुके हैं, कई मकानों में ताले लटके नज़र आते हैं. जहां कभी 150 परिवार हुआ करते थे, अब केवल 10-12 परिवार ही रहते हैं.

क्या है इस कदर पलायन का कारण?
गांवों में रहने वाले लोगों का कहना है कि पलायन का सबसे बड़ा कारण बेरोज़गारी है. लोगों को जब रोज़गार नहीं मिलता है, तो वो अपने गांव छोड़कर मैदानों की तरफ जाते रहे हैं. पलायन के मुद्दे का सीधे तौर पर बेरोज़गारी के साथ जुड़ जाना सियासी पार्टियों के बीच बयानों की रस्साकशी के लिए खासी खुराक बन गया है. चुनाव के समय में भाजपा इस पर सरकार का बचाव कर रही है तो कांग्रेस उसे घेरने की जुगत में है.

पलायन पर कांग्रेस बनाम भाजपा
आयोग की रिपोर्ट के बरक्स मौजूदा सरकार का दावा है भाजपा सरकार में पलायन कम हुआ है. इतना ही नहीं, कोरोना काल में रिवर्स माइग्रेशन के चलते घर लौटे लोगों को भी सरकार रोकने में सफल रही. सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि 20% रिवर्स माइग्रेटटेड जनसंख्या को रोक लिया गया है. इधर, कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि केवल कांग्रेस सरकार ने ही रोज़गार के उपाय किए और भाजपा इस मोर्चे पर फेल रही.

आपके शहर से (देहरादून)

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Tags: Migration, Uttarakhand Assembly Election, Uttarakhand politics



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