अंतर्राष्ट्रीय

CANADA ELECTION: क्या चुनाव के नतीजों के बाद भारतीयों के लिए कनाडा जाना मुश्किल होगा

[ad_1]

टोरंटो. कनाडा (Canda) में 20 सितंबर को मध्यावधि चुनाव (Election) के लिए वोटिंग (Voting) होनी है. नए सर्वे के रुझानों की मानें तो वर्तमान में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Prime Minister Justin Trudeau) और उनके कंजरवेटिव पार्टी के प्रतिद्वंद्वी के बीच सीधी टक्कर है. ताजा संन्डेज लेगर पोल के नतीजों के मुताबिक, कंजरवेटिव के इरीन ओ-टूल (Erin O’Toole) को 33% वोट मिले, वहीं, लिबरल पार्टी के ट्रूडो को 32% वोट मिले. लेकिन असली दम 20 तारीख को देखने को मिलेगा. लेकिन अब सवाल ये है कि क्या जस्टिन ट्रूडो के इस चुनाव में हारने के बाद कनाडा में बसने, काम करने और पढ़ाई करने का सपना टूट सकता है? जिस तरह से ट्रूडो के कार्यकाल में प्रवासियों खासकर भारतीयों का वहां स्वागत हुआ, क्या नई सरकार आने के बाद इसमें बदलाव हो सकता है?

सिख नेता ने बचाई थी ट्रूडो की सरकार
बता दें कि इस चुनाव में लड़ रहे बड़े दलों में लिबरल पार्टी, कंजरवेटिव पार्टी, ग्रीन पार्टी, न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी और ब्लॉक क्यूबकोइस हैं. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख भारतीय मूल के जगमीत सिंह (Jagmeet Singh) हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के इलेक्शन में लिबरल पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था. पिछली बार उन्होंने 157 सीटें हासिल की थीं, लेकिन 170 का बहुमत के आंकड़े से दूर रही, तब जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने उन्हें समर्थन देकर सरकार में बनाने का मौका दिया.

भारतीय मूल के लोग तय करेंगे-कौन होगा कनाडा का पीएम?
जगमीत सिंह कनाडा के नेता सिख कम्युनिटी से आते हैं. वह अल्पसंख्यकों के पहले नेता हैं जो कनाडा में संघीय राजनीतिक दल के मुखिया है. उनका मानना है कि इस इलेक्शन में भी अल्पमत की सरकार सत्ता में आएगी, जैसा बीते छह चुनावों में से चार में देखने को मिला. ऐसे में छोटे दल तय करेंगे कि कनाडा का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा.

ट्रूडो ने अप्रवासियों के लिए खोले हैं कनाडा के दरवाजे
जस्टिन ट्रूडो ने इमीग्रेशन ( Immigration Rules) के मामले में काफी उदार दिल दिखाया था. लिबरल पार्टी ने 2015 में कनाडा में इमीग्रेशन को बढ़ावा दिया. उनका एक्सप्रेस एंट्री प्रोग्राम के आंकड़े कहते हैं कि कनाडा में 3.4 लाख बाहरी लोगों को स्थाई निवास का दर्जा दिया गया. इसमें सबसे बड़ी तादाद भारतीयों की थी. इसमें सबसे ज्यादा भारत के 25% लोगों को कनाडा की नागरिकता दी गई, इसके बाद चीन (9%) और फिलीपींस (8%) का नंबर आता है. अप्रवासियों के कारण ही 2019 में कनाडा की पॉपुलेशन में 80% का इजाफा हुआ और जी-7 देशों में यह सबसे ज्यादा थी.

महामारी के बाद बड़ी अप्रवासियों की संख्या
2020 में कोविड के बाद कनाडा में अप्रवासियों की संख्या में काफी कमी आई. कोविड महामारी के दौरान कनाडा एक्सप्रेस एंट्री वाले लोगों को प्राथमिकता दी गई, जिन्हें देश में आने-जाने की इजाजत दी गई और प्रतिबंधों में ढील दी गई. फिर भी 2021 के पहले तिमाही में 70,500 अप्रवासियों को कनाडा की नागरिकता दे दी गई. इसका मतलब है कि कनाडा में अप्रवासियों के लिए काफी समर्थन है और इस बार के चुनाव में ये बड़ा मुद्दा भी नहीं है, बल्कि सबके लिए घर, महामारी रोकथाम, हेल्थकेयर और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे यहां अहम हो गए हैं.

कंजरवेटिव पार्टी भी इमीग्रेशन को दे सकती है बढ़ावा
लिबरल पार्टी ने अपने इमीग्रेशन लक्ष्यों को पा लिया है. हालांकि कंजरवेटिव पार्टी ने इमीग्रेशन के लिए एेसा कोई टारगेट नहीं रखा है. इसके बजाय उसने सुपर वीजा प्रोग्राम प्रस्ताव रखा है. इसमें नए कनाडा के लोगों को उनके परिवार के लोगों को आने की अनुमति देगा. इस कदम से इंटरनेशनल स्टूडेंट्स और अस्थाई वीजा पाने वाले फॉरेन वर्कर्स को लाभ होगा.

पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fapjunk