पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाने का बढ़ा दबाव तो कांग्रेस ने शुरू की GST वाली सियासत!
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नई दिल्ली: कांग्रेस शासित राज्यों में पेट्रोल और डीजल (Petrol Diesel) पर वैट घटाने (Vat Reduction) के बढ़ते दबाव के बीच कांग्रेस ने जीएसटी (GST) वाली सियासत शुरू कर दी है. पहले केंद्र सरकार ने डीजल पर 10 रुपये और पेट्रोल पर 5 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाने घटाने का फैसला किया उसके बाद बीजेपी की राज्य सरकारों ने भी VAT कम कर जनता को बड़ी राहत दी. अब जब कांग्रेस और विपक्ष की सरकारों को जनता को राहत देने की बात आ रही है तो कांग्रेस बहाने बना रही है.
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेस संसद से सड़क तक लगातार हंगामा मचाती रही. पूरे देश में विरोध प्रदर्शन भी हुआ लेकिन दीपावली से ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी के डीजल और पेट्रोल के दाम में कटौती के फैसले के मास्टर स्ट्रोक के बाद कांग्रेस बैकफुट पर है. एक तरफ कांग्रेस केंद्र सरकार से एक्साइज टैक्स (Excise Tax) में और ज़्यादा कटौती की मांग कर रही है लेकिन बीजेपी शासित राज्यों की तर्ज़ पर वैट की दरें घटाने को राज़ी नहीं है.
बीजेपी शासित राज्यों ने वैट कम किया जिसकी वजह से लोगों को ज़्यादा राहत मिली जबकि कांग्रेस या विपक्ष शासित राज्य आनाकानी कर रहे हैं. कांग्रेस तर्क दे रही है कि केंद्र सरकार विपक्ष शासित राज्यों को बकाया जीएसटी नहीं दे रहा इसलिए उनको फैसले लेने में कठिनाई हो रही है. संदीप दीक्षित और पवन खेड़ा विपक्ष के राज्यों को जीएसटी का पैसा न देने का आरोप लगा रहे हैं.
कांग्रेस के लिए घाटे का सौदा
दरअसल कांग्रेस के अंदर में इस बात पर मंथन चल रहा है कि वैट कितना और कब कम करना है. पार्टी को ये बात मालूम है कि बीजेपी राज्यों में राहत और कांग्रेस के राज्यों में कम राहत उसके लिए घाटे का सौदा साबित होगा. कुछ नेता विचार की बात कर रहे हैं तो कुछ खुलेआम पार्टी नेतृत्व से वैट घटाने की मांग कर रहे हैं. तारिक़ अनवर कहते हैं कि विपक्ष शासित राज्य वैट कटौती पर विचार कर रहे हैं जबकि अखिलेश प्रसाद सिंह जैसे नेता वैट कटौती ज़रूरी बता रहे हैं. वहीं बीजेपी कांग्रेस के जीएसटी वाले तर्क को खारिज़ कर रही है. शाहनवाज हुसैन विपक्ष को दाम कम करने की चुनौती देते हैं.
कांग्रेस केंद्र सरकार से पेट्रोल और डीजल में और कटौती कर उसे यूपीए सरकार के स्तर पर लाने की मांग कर रही है लेकिन बीजेपी शासित राज्यों की जनता को राहत के बाद अब कांग्रेस पर भारी दबाव है और देर सबेर उसे भी वैट कम करना ही होगा.
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