उत्तराखंड

कोरोना ने बदली जिंदगी! कभी स्कूल के लिए मना करते थे, आज जाने की जिद करते हैं बच्चे

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नैनीताल. कुंभ के दौरान कोरोना जांच में फर्जीवाड़े के केस में हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है. जस्टिस आरसी खुल्बे की कोर्ट में मंगलवार को कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी मल्लिका पंत और शरत पंत ने एफआईआर पर गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने व धारा 467 को हटाने की मांग उठाई थी. इस दौरान आरोपियों के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि जबकि उन्होंने कोई टेस्ट ही नहीं किए, ऐसे में उनको आरोपी बनाना ठीक नहीं है. मैक्स के दोनों पार्टनरों ने कोर्ट में फिर कहा कि वो सरकार और दोनों लैब्स के बीच सिर्फ मीडियेटर थे. लेकिन कोर्ट ने याचिका पर ही सवाल उठाकर फिलहाल आरोपियों को कोई राहत देने से इनकार कर दिया.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को प्रार्थना पत्र में रिलीफ बिंदु में संशोधन की अनुमति देकर फिर से आवेदन दाखिल करने को कहा. हालांकि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा कि कोरोना टेस्टिंग के लिए किस किस के बीच एमओयू हुआ था. इस सवाल के जवाब में सरकार ने कोर्ट को बताया कि मैक्स कॉरपोरेट सर्विस और सरकार के बीच एमओयू हुआ, लेकिन बाद में जांच के दौरान पता चला कि मैक्स कॉरपोरेट कंपनी रजिस्टर ही नहीं है. उसने नलवा और लालचंदानी को अपना पार्टनर बताकर ठेका लिया.

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सरकार की सफाई और नलवा लैब की मांग
सरकार ने कोर्ट में जानकारी दी कि आरोपियों ने जांच की रिपोर्ट सरकार के पोर्टल पर भी डाली, जिसमें कई लोग हरिद्वार ही नहीं आये थे और उनकी जांच संबंधी नंबर भी दर्शाए गए. 15 लाख से ज्यादा की धनराशि अब तक इनको जारी की गई और करोड़ों के बिल कंपनी ने दिए. इसके साथ नलवा लैब के मालिक की याचिका पर भी सुनवाई हुई याचिका में नलवा लैब ने कोर्ट से एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है. नलवा ने कहा कि उनका इस घोटाले में कोई रोल नहीं फिर भी उन पर एफआईआर दर्ज की गई.

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कुंभ के दौरान कोविड टेस्ट फर्जीवाड़े के मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली आरोपियों की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.

किस याचिका पर हो रही है सुनवाई?
दरअसल हाई कोर्ट के आदेश के बाद हुई जांच में कुंभ में कोरोना टेस्ट में गड़बड़ी होना पाया गया था. जांच के दौरान एक ही मोबाइल नंबर पर कई टेस्टिंग होने की बात सामने आई थी. घोटाला सामने आने के बाद हरिद्वार सीएमओ ने 17 जून 2021 को मुकदमा दर्ज करवाया था. हालांकि उस दौरान हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी, लेकिन जांच के दौरान 467 धारा बढ़ने के साथ ही गिरफ्तारी से रोक हट गई. अब फर्जीवाड़े के आरोपी शरत पंत, मल्लिका पंत और नलवा लैब ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर गिरफ्तारी पर रोक व सरकार द्वारा दर्ज मुकदमे को निरस्त करने की मांग की है.

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आरोपियों ने विभाग को ही घेरा
याचिका पर सुनवाई के दौरान कुंभ कोरोना जांच करने वाली मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज़ के मालिक और पार्टनर ने हाई कोर्ट में कहा कि उनकी कंपनी सर्विस प्रोवाइडर है लेकिन कथित कोरोना जांच के दौरान कंपनी का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था. याचिका में यह भी कहा गया कि परीक्षण और डेटा का काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में किया गया. ‘अगर कोई गड़बड़ी हुई तो कुंभ के दौरान अधिकारी क्यों चुप रहे!’

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