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कोरोना के चलते अमेरिकी पुरुषों की जिंदगी पर बड़ा असर, WW2 के बाद जीवन प्रत्याशा में बड़ी गिरावट

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नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के चलते लोगों की जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) (एक व्यक्ति के जीवित रहने की औसत अवधि में कमी) में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की ओर से सोमवार को प्रकाशित एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है. अध्ययन के मुताबिक अमेरिकी पुरुषों (US) की जीवन प्रत्याशा में दो साल से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है, जोकि द्वितीय विश्व युद्ध (World War 2) के बाद सबसे ज्यादा है. अध्ययन में विश्लेषित किए गए 29 देशों में से 22 में 2019 की तुलना में जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) में छह महीने से अधिक की गिरावट आई है, इन देशों में यूरोपीय, संयुक्त राज्य अमेरिका और चिली भी शामिल हैं. कुल मिलाकर 29 देशों में से 27 में जीवन प्रत्याशा में कमी आई है.

बता दें कि जीवन प्रत्याशा एक व्यक्ति के जीवित रहने की औसत अवधि है, जोकि जन्मतिथि, वर्तमान आयु, लिंग के साथ अन्य भौगोलिक कारकों पर निर्भर करती है. सरल शब्दों में कहें तो एक व्यक्ति औसत रूप से कितने साल जिएगा.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कहा है कि विभिन्न देशों में जीवन प्रत्याशा में कमी को आधिकारिक COVID-19 मौतों से जोड़ा जा सकता है. रॉयटर्स के मुताबिक कोरोनोवायरस के कारण पूरी दुनिया में लगभग 5 मिलियन लोगों की मौत हो चुकी है. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च पेपर की सह-प्रमुख लेखक डॉ रिद्धि कश्यप ने कहा, ‘तथ्य यह है कि हमारे परिणाम इतने बड़े प्रभाव को उजागर करते हैं, जो सीधे तौर पर कोरोना वायरस के कारण होता है, यह दर्शाता है कि महामारी कई देशों के लिए कितना विनाशकारी है.’

अध्ययन के मुताबिक अधिकांश देशों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा में अधिक गिरावट आई है. वहीं अमेरिकी पुरुषों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. ये गिरावट 2019 की तुलना में 2.2 वर्ष की है. कुल मिलाकर, 15 देशों में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा में एक साल से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं 11 देशों में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा में कमी देखी गई है. इस वजह से पिछले 5.6 वर्षों में मृत्यु दर के मामले में हासिल की गई प्रगति अप्रासंगिक हो गई है.

अमेरिका में, मृत्यु दर में वृद्धि मुख्य रूप से कामकाजी उम्र के लोगों और 60 से कम उम्र के लोगों में थी, जबकि यूरोप में, 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की सबसे ज्यादा मौत हुई. इससे यूरोप में मृत्यु दर में इजाफा दर्ज किया गया. रिद्धि कश्यप ने निम्न और मध्यम आय सहित सभी देशों से अपील की है कि वे आगे अध्ययन के लिए मृत्यु दर के आंकड़े उपलब्ध कराएं.

उन्होंने कहा, ‘हम वैश्विक स्तर पर महामारी के प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक डाटा के प्रकाशन और उपलब्धता की तत्काल मांग करते हैं.’

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