उत्तराखंड

देवस्थानम बोर्ड भंग: ‘हारा घमंड-जीता उत्तराखंड’, नेताओं ने कैसे किया फैसले का पोस्टमार्टम?

[ad_1]

देहरादून. आखिरकार सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर ही दिया और सीएम पुष्कर धामी ने इस बात की जानकारी ट्वीट से दी. इसके बाद उत्तराखंड के नेताओं की प्रतिक्रिया आना शुरू हो गई. एक तरफ धामी सरकार के धर्मस्व मंत्री ने इस ऐलान की जानकारी होने और सीएम के साथ बातचीत होने से इनकार किया, तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि धर्मस्व मंत्री से चर्चा के बगैर ही सरकार ने बड़ा फैसला ले लिया यानी बीजेपी में कब, कौन, क्या फैसला ले ले, कहा नहीं जा सकता. देखिए बोर्ड से जुड़े इस फैसले पर सियासत के अखाड़े में कैसे उठापटक चलती रही.

इस फैसले ने लोकतांत्रिक शक्ति को स्थापित किया : रावत
देवस्थानम बोर्ड के भंग होने पर उत्तराखंड कांग्रेस के दफ्तर में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की मौजूदगी में कांग्रेसियों ने जश्न मनाया. कांग्रेसियों ने मिठाइयां बांटकर और पटाखे फोड़कर इस फैसले को तीर्थ पुरोहितों और लोगों की भावनाओं की जीत करार दिया. हरीश रावत ने कहा कि बोर्ड भंग किया जाना साबित करता है कि लोकतांत्रिक शक्तियां ही आखिर में जीत सकती हैं. रावत ने इसे तीर्थ पुरोहितों, हक हकूकधारियों, उत्तराखंड के लोगों और कांग्रेस के संघर्ष की जीत कहा.

चुनाव आया, यू टर्न दिखाया : गोदियाल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए इस फैसले को चुनाव के चलते भाजपा सरकार का यूटर्न करार दिया. गोदियाल ने कहा, ‘यह कांग्रेस के संघर्ष की जीत है, यह हमारे तीर्थ पुरोहितों की एकता की जीत है. कांग्रेस सदैव ही पुरोहितों एवं हक हकूकधारियों के साथ थी. यह संयुक्त संघर्ष की जीत है.’ गोदियाल ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की नज़र मंदिरों में चढ़ने वाले चढ़ावे पर थी, जो नाकाम साबित हुई.

अहंकार पर सच की जीत : कोठियाल
आम आदमी पार्टी के सीएम उम्मीदवार रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल ने देवस्थानम बोर्ड के भंग होने को तीर्थ पुरोहितों और हक हकूक धारियों की बड़ी जीत बताया. उन्होंने सभी तीर्थ पुरोहितों को बधाई देते हुए कहा कि यह जबरन बनाया गया बोर्ड था, जो सरकार की मंशा पर लगातार प्रश्नचिह्न लगा रहा था. उन्होंने इसे अहंकार पर सत्य की जीत बताते हुए कहा कि तीर्थ पुरोहितों ने जो संघर्ष किया, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को खून से जो चिट्ठी लिखी, अब उसका हिसाब हो गया. बोर्ड को भंग कर पुष्कर धामी सरकार ने अपराध स्वीकार कर लिया.

चुनाव के चक्कर में आया यह फैसला : मोहनिया
आप के प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया ने भी तीर्थ पुरोहितों को बधाई देते हुए कहा, चुनावों में हार की आशंका देखते हुए बीजेपी को यह फैसला करना पड़ा. उन्होंने कहा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने ये फैसला लिया है और कल इनकी सरकार फिर बनी, तो ये फिर देवस्थानम बोर्ड तीर्थ पुरोहितों पर थोप सकते हैं. ‘बोर्ड की वजह से लंबे समय तक तीर्थ पुरोहितों को जो परेशानी हुई, उसके लिए बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री धामी को तीर्थ पुरोहितों से माफी मांगनी चाहिए.’

आपके शहर से (देहरादून)

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश

Tags: Devsthanam board act cancel, Uttarakhand Assembly Election 2022, Uttarakhand news, Uttarakhand politics



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fapjunk