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दिवाली पर बम-पटाखे से झुलसने या जलने पर घबराएं नहीं, दिल्‍ली के इन अस्‍पतालों में मिलेगा इलाज

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नई दिल्‍ली. देशभर में दिवाली (Diwali) का त्‍यौहार मनाया जा रहा है. इस दौरान दीए जलाकर त्‍यौहार को खुशी का इजहार करते हैं. इतना ही नहीं बच्‍चे बम-पटाखे और फुलझड़ि‍यां चलाकर भी इस पर्व को मनाते हैं. हालांकि, हर बार ही दिल्‍ली-एनसीआर में दिवाली के दौरान जलने के मामले सामने आते हैं. जिनमें बच्‍चों की संख्‍या सबसे ज्‍यादा होती है. पटाखे चलाने या किसी भी प्रकार दीयों के संपर्क में आने के कारण बच्‍चे आग का शिकार बन जाते हैं. इस दौरान अस्‍पतालों (Hospitals) के बर्न विभागों में भी भीड़ के कारण मारामारी रहती है. हालांकि, दिल्‍ली के कई बड़े अस्‍पतालों में दिवाली पर बर्न केसेज (Burn Cases) को लेकर इंतजाम किए गए हैं. ऐसे में दिवाली पर ऐसी कोई भी जलने की दुर्घटना होने पर अपने आसपास के इन अस्‍पतालों में ले जाया जा सकता है.

इसी साल जनवरी में दिल्‍ली के सबसे बड़े अस्‍पताल ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में अलग से एक बर्न ब्‍लॉक बनाया गया है. एम्‍स के ट्रामा सेंटर में बने इस बर्न ब्‍लॉक में जले हुए मरीजों के लिए इलाज के साथ ही प्‍लास्टिक सर्जरी की भी सुविधा है. फिलहाल इसमें 100 बेड से शुरुआत की गई है. यहां जले हुए मरीजों को सीधे लाया जा सकता है और इलाज कराया जा सकता है. एम्‍स में इससे पहले त‍क दिवाली के दौरान जलने वाले मरीजों को एम्‍स की कॉमन इमरजेंसी में लाया जाता था और यहीं मरीजों को इलाज दिया जाता था. हालांकि दिवाली पर ज्‍यादा मामले झुलसने के होते हैं ऐसे में इलाज देकर मरीजों को घर भी भेज दिया जाता है.

कुछ मामले आरपी सेंटर में आते हैं
इसके अलावा एम्‍स के ही राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्‍थेल्मिक साइंसेज की इमरजेंसी में भी आंखों में मरीज जा सकते हैं. हालांकि इसमें सिर्फ वही मरीज जाते हैं जिन्‍हें बर्निंग के कारण आंखों में दिक्‍कत या अन्‍य ऑक्‍यूलर परेशानी होती है. दिवाली के आसपास हर साल ही कुछ मामले आरपी सेंटर में आते हैं. हालांकि इस बार पटाखों पर प्रतिबंध होने के कारण संभव है कि मामलों की संख्‍या कम हो.

दीन दयाल और जीटीबी में भी हैं बर्न वार्ड
वहीं सफदरजंग अस्पताल के बर्न विभाग में भी दिवाली के दौरान जलने वाले मरीजों के लिए खास इंतजाम किए गए हैं. यहां छोटी दिवाली से ही भैया दूज तक कई डॉक्‍टर और विभाग के अन्‍य कर्मचारी काम करेंगे. इतना ही नहीं बम-पटाखे या दिवाली सेलिब्रेशन के दौरान किसी भी प्रकार लगी आग से जले मरीजों के लिए विभाग की इमरजैंसी में चार से पांच अतिरिक्त काउंटर लगाए गए हैं. वहीं 20 बेड की भी व्‍यवस्‍था है ताकि किसी भी गंभीर स्थिति में मरीज को भर्ती किया जा सके.

अतिरिक्‍त डॉक्‍टरों को बुलाने की सुविधा रहेगी
दिल्‍ली के आरएमएल अस्‍पताल, गुरु तेग बहादुर अस्‍पताल, दीन दयाल उपाध्‍याय अस्‍पताल और लोकनायक जयप्रकाश अस्‍पताल में भी दिवाली पर जलने वाले बच्‍चों के लिए पूरे वार्ड की व्‍यवस्‍था है. इसके साथ हर दिवाली पर इनमें डॉक्‍टरों की ड्यूटी लगी होती है. इस बार भी इन सभी अस्‍पतालों में बर्न केसेज के लिए बेड आरक्षित किए गए हैं और दिवाली पर आने वाले जले हुए मरीजों को देखने की व्‍यवस्‍था है. अस्‍पताल प्रबंधन का कहना है कि दिवाली को लेकर इस बार भी इमरजेंसी में अतिरिक्‍त डॉक्‍टरों को बुलाने की सुविधा रहेगी.

आयुर्वेद इंस्‍टीट्यूट में भी दिखा सकते हैं मरीज
ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. राजगोपाला एस कहते हैं कि अस्‍पताल में जलने के मामले भी आते हैं. दिवाली के बाद अक्‍सर ऐसे मामले सामने आते हैं जब बच्‍चे बम-पटाखे या कुछ और ज्‍वलनशील पदार्थों की चपेट में आ जाते हैं. ऐसी स्थिति में सबसे पहले वे घरेलू उपचार करते हैं. फिर अगर ज्‍यादा परेशानी होती है तो ऐलोपैथी के अस्‍पतालों में जाते हैं. अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्‍थान में भी कई मरीज आते हैं. वहीं जलने के बाद त्‍वचा संबधी कोई परेशानी होती है तब भी वे अस्‍पताल में आते हैं. दिवाली पर यहां की इमरजैंसी में भी मरीज दिखा सकते हैं.

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