राष्ट्रीय

कश्मीर में आतंकी गतिविधि में लिप्‍त डीएसपी जेल और स्‍कूल प्रिंसिपल बर्खास्‍त

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श्रीनगर. कश्‍मीर में आतंकी गतिविधियों (Kashmir Terror activity) में लिप्त सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ जम्मू कश्मीर सरकार (Jammu and Kashmir Government) की कार्रवाई जारी है. इसके तहत डीएसपी जेल और प्रिंसिपल बर्खास्‍त कर दिया गया है.  बताया गया है कि डिप्टी सुपरिटेंडेंट जेल फिरोज अहमद लोन और सरकारी कॉलेज बिजी बेहरा अनंतनाग के प्रिंसिपल जावेद अहमद शाह को सेवा से बर्खास्‍त कर दिया है. इन पर आरोप है कि इन्‍होंने कश्‍मीर घाटी में सक्रिय आतंकवादियों (Terrorist) की मदद की थी. प्रशासन ने कानून की धारा 311 (2c) के तहत इनके ऊपर कार्रवाई की है. यह कार्रवाई तब हुई है जब यह जांच के दौरान साबित हो गया था की इनके आतंकियों के साथ तार जुड़े हुए हैं. इनसे आतंकियों के बारे में पूछताछ भी की जा रही है.

सूचना के मुताबिक डीएसपी लोन 2012 में उमर अब्दुल्ला जब मुख्यमंत्री थे तब नियुक्त हुए थे. इन पर आरोप है कि उस वक्त हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन की मदद कर इन्होंने कश्मीर के नौजवानों को पाकिस्तान भेजा था जो ट्रेनिंग लेकर वापस भारत आए थे. डीएसपी लोन, हिजबुल कमांडर रियाज नाइकू के लिए काम कर रहे थे. आरोपों के मुताबिक डीएसपी लोन ने आतंकी संगठनों के लोगों की जेल में बंद आतंकियों से मिलने में मदद की. जम्मू कश्मीर की जेलों को आतंकियों का पनाहगाह बनाने का काम किया. डीएसपी लोन की करतूतों से यह उजागर हुआ है कि जम्मू कश्मीर के जेलों में युवाओं को भड़काने का काम यानी रेडिकलाइजेशन का भी काम किया गया.

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वहीं, जावेद अहमद शाह 1989 में बतौर टीचर नियुक्त हुए थे और हुर्रियत और जमात-ए-इस्लामी की लगातार मदद करते थे. बाद में वह सरकारी गर्ल्स कॉलेज बिजी बेरा अनंतनाग में प्रिंसिपल बने थे.  आरोपों के मुताबिक 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद इन्होंने घाटी में युवाओं को भड़काने का काम किया था. हुर्रियत जो भी अपना कैलेंडर जारी करता था यह उसे कॉलेज में लागू करवाते थे. जावेद, कॉलेज की लड़कियों को इस्लामिक कानून का हवाला देकर फिजिकल एजुकेशन की गतिविधियों में शामिल नहीं होने देते थे. इनकी नियुक्ति फारूक अब्दुल्ला जब मुख्यमंत्री थे तब हुई थी.

गौरतलब है कि कश्‍मीर में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेएम), अल-बद्र और द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (OGW) भी सक्रिय हैं. पुलिस अधिकारी ने कहा कि OGW बिना हथियारों के आतंकवादी हैं और उनसे भी अधिक घातक हो सकते हैं क्योंकि वे सक्रिय आतंकवादियों के लिए यात्रा और अन्य चीजों का प्रबंधन करते हैं. OGW वे हैं जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों या आतंकवादियों को मानवीय सहायता, नकद, आवास और अन्य सुविधाएं प्रदान करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति जो एक सुरक्षित घर, मार्ग, सूचना प्रदान करता है, या संदिग्ध उग्रवादियों के लिए एक संदेशवाहक के रूप में कार्य करता है, उसे तुरंत अधिकारियों द्वारा OGW के रूप में लेबल किया जाता है. OGW अंडरग्राउंड आतंकवादियों की आंख और कान के रूप में काम करते हैं. ये लोग आतंकियों के ठिकाने की व्यवस्था करते हैं, हथियारों को सुरक्षित पनाहगाहों से उन जगहों पर ले जाते हैं जहां आतंकवादी हमले करने की योजना बनाई जाती है. सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं.

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