उत्तराखंड

दशकों के इंतज़ार के बाद भी रोड नहीं, उत्तराखंड के इस गांव ने कहा – ‘अब वोट भी नहीं’

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पिथौरागढ़. विधानसभा चुनाव करीब आने के साथ ही उत्तराखंड के पहाड़ों में “रोड नहीं तो वोट नहीं” का नारा ज़ोर पकड़ने लगा है. पिथौरागढ़ में बेलतड़ी इलाके के ग्रामीणों ने इस बार ऐलान कर दिया है कि रोड नहीं मिली तो विधानसभा चुनाव का हर कीमत पर बहिष्कार होगा. यह वही इलाका है, जहां सड़क नहीं होने के कारण गर्भवतियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए पहाड़ चढ़ना पड़ता है और कई बार अस्पताल पहुंचने से पहले ही मरीज़ दम तोड़ देते हैं. यहां 15 सालों से 2 किलोमीटर की सड़क की मांग पूरी नहीं हो सकी है. अपनी इकलौती मांग को लेकर यहां के ग्रामीण 25 सितंबर से आंदोलन शुरू कर चुके हैं.

पिथौरागढ़ मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर बेलतड़ी का इलाका दशकों से रोड का इंतजार कर रहा है. करीब 10 हज़ार की आबादी रोड न होने के कारण मुख्यधारा से कोसों दूर है. हालात ये हैं कि कइयों की ज़िंदगी की डोर रोड तक पहुंचने से पहले ही टूट गई. नाराज़ ग्रामीणों ने अब ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ का नारा बुलंद किया करते हुए अपनी इकलौती मांग को लेकर आंदोलन छेड़ा है. आंदोलनकारी महिला जानकी भट्ट का कहना है कि रोड न होने से कई गर्भवतियों की जानें जाने के बाद भी अधिकारियों को परवाह है, न ही नेताओं को.

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पिथौरागढ़ के ग्रामीणों ने सड़क के लिए आंदोलन शुरू किया.

शहीद की भूमि है यह इलाका
उत्तराखंड को वीरों की भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां से बड़ी तादाद में सैनिक निकलते रहे हैं. इसी इलाके के नंदकिशोर 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हो चुके हैं. इस इलाके से और भी जवान भारतीय सेना में जा चुके हैं. फिर भी सैन्य बहुल यह इलाका एक अदद रोड के लिए तरस रहा है. इधर, डीएम आशीष चौहान का कहना है कि लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए जा चुके हैं. सर्वेक्षण के बाद जल्द ही रोड बनाई जाएगी.

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कितनी ज़रूरी है यहां सड़क?
बेलतड़ी में सिर्फ 2 किलोमीटर की रोड बनने से इस इलाके के 6 गांव मुख्यधारा से जुड़ सकते हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही यहां के स्थानीय उत्पादों को बाज़ार भी आसानी से मिल सकता है. गौरतलब है कि राज्य और केंद्र सरकार के दिग्गज नेता उत्तराखंड में सड़कों को लेकर बड़े दावे कर चुके हैं और बार बार उत्तराखंड को वीरों की भूमि बताने वाले बयान दे चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद पहाड़ों में बेलतड़ी ही नहीं, कई इलाके आज भी रोड की राह तक रहे हैं.

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