उत्तराखंड

आज भी कांप उठते है ऋषि गंगा की आपदा को याद कर, 206 लोगो ने गंवाई थी जान

चमोली। 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद 2021 की पुरे उत्तराखंड को झकझोर देने वाली ऋषि गंगा की आपदा को आज एक वर्ष पूरा हो गया है। इस आपदा में 206 जिंदगियां मलबे में दफन हो गई थीं। इस जलप्रलय को याद करते ही आज भी रैणी और तपोवन घाटी के ग्रामीणों की रूह कांप जाती है। स्थिति यह है कि आज भी तपोवन और रैणी के ग्रामीण धौली और ऋषि गंगा के किनारे जाने से डर रहे हैं।आपदा को एक वर्ष बाद भी रैणी क्षेत्र में धौली गंगा और ऋषि गंगा के टूटे तटबंधों पर बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। मलारी हाईवे का सुधारीकरण कार्य भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। रैणी गांव में मलारी हाईवे पर आज भी बैली ब्रिज से ही वाहनों की आवाजाही हो रही है। यहां स्थायी मोटर पुल का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो पाया है।

ऋषिप्रयाग तक जाने के लिए भी पैदल रास्ता नहीं बन पाया है। ग्रामीण को प्रयाग पर शवदाह करने के लिए जाने का रास्ता भी नहीं बचा है। भूस्खलन और भू-कटाव से मलारी हाईवे कई जगहों पर धंस गया है। इसका सुधारीकरण कार्य भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। रैणी गांव के ग्राम प्रधान भवान सिंह राणा और पल्ला रैणी की प्रधान शोभा राणा ने बताया कि क्षेत्र में पैदल रास्ते अभी भी क्षतिग्रस्त पड़े हैं। ऋषि गंगा के किनारे बाढ़ सुरक्षा कार्य भी नहीं हुए हैं। आज भी ग्रामीण नदी किनारे जाने से डरते हैं। वहीं जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी ने बताया कि सभी 206 लोगों के मृत्यु प्रमाणपत्र तहसील प्रशासन की ओर से दे दिए गए हैं। साथ ही सभी मृतकों के आश्रितों को सात लाख रुपये मुआवजा भी दे दिया गया है।

हिमालय क्षेत्र में हो रही हलचल का व्यापक अध्ययन होना चाहिए। ऋषि गंगा के उद्गम पर कई छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं, ग्लेशियरों की स्थिति पर प्रत्येक साल अध्ययन होना चाहिए और अध्ययन को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे नदी घाटी के गांवों के लोग सतर्क रह सकें। केदारनाथ आपदा के बाद आई ऋषि गंगा की आपदा से नदियों का स्तर ऊंचा हो गया है। इस मलबे के निस्तारण के लिए भी ठोस योजना बनाई जानी चाहिए। नदियों और नवनिर्मित सड़कों के किनारे वृहद पौधरोपण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

24 घंटे है अलकनंदा और धौली गंगा के जलस्तर पर नजर 
ऋषि गंगा की आपदा के बाद अब एनटीपीसी 24 घंटे अलकनंदा और धौली गंगा के जलस्तर पर नजर बनाए हुए है। एनटीपीसी के महाप्रबंधक आरपी अहिरवार ने बताया कि नदियों के जलस्तर पर नजर रखने के लिए सुरांईथोटा, रैणी और गोविंदघाट में कर्मचारियों की तैनाती की गई है, जो 24 घंटे नदियों के जलस्तर पर नजर रखे हुए हैं। जल्द ही नदियों के जलस्तर की रिपोर्ट ऑनलाइन मिलनी शुरू हो जाएगी। जलस्तर की जांच के लिए निश्चित जगहों पर सेंसर स्थापित किए जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fapjunk