उत्तराखंड

सेना से जुड़ा हर शख्स दुखी, अफसर के रूप में उनके दिलों में बसे हैं CDS बिपिन रावत

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देहरादून. दिसम्बर का बुधवार देश के लिए काला दिन बन चुका है. साल के खत्म होते होते लोगों को एक ऐसा दर्द ​मिला है जो कभी खत्म नहीं होगा. बार खुशमिजाज बिपिन रावत और उनके कार्यों को याद करके हर शख्स की आंखें नम हैं. खासकर सेना से जुड़े लोग इस खबर पर अब भी यकीन नहीं करना चाहते हैं. उनके साथ काम कर चुके सेना से जुड़े लोग अब उनके साथ बिताए लम्हों को याद कर रहे हैं. अफसर के रूप में भी वह काफी सपोर्टिव थे और हमेशा अपने जूनियर्स की बात को तवज्जो दिया करते थे. यहां तक कि अपना वॉट्सअप नम्बर भी उन्होंने सबसे शेयर कर रखा था ताकि​ लोगों की समस्याओं को सीधे सुन सकें.

अभी कुछ दिन पहले की तो बात है…
कर्नल उम्मेद सिंह थापा कहते हैं कि यकीन ही नहीं हो रहा है इस खबर पर. कुछ दिन पहले ही दिल्ली में उनकी पत्नी और वे एक सेलिब्रेशन में थे. उनके साथ पुराना रिश्ता है, पलटन में आने के बाद उनका समर्पण और प्यार ही उनकी पहचान था. वो जहां भी गए, वहां अपना नाम किया. वे हर काम को दिल से और सोच समझकर करते थे.

भेदभाव नहीं करते थे
सीडीएस बिपिन रावत की सबसे खास बात यह थी कि वे कभी अपने आस पास मौजूद लोगों में भेद नहीं करते थे. लेफ्टिनेंट टी डी भूटिया कहते हैं कि 1978 में जब यूनिट अमृतसर में थी तो मैं मेस हवलदार था. वो आए उनका व्यवहार बहुत अच्छा था, कोई भेदभाव नहीं करते थे. लगा ही नहीं कि वे इतने बड़े अफसर थे. उधर, सूबेदार धन बहादुर थापा कहते हैं कि उन्होंने भी सीडीएस बिपिन रावत के साथ काम किया है. उन्होंने कभी अलग महसूस नहीं होने दिया, मैंने जब सुना तो मैं रात भर रोया, क्योंकि वो मेरे लिए भगवान थे.

सूबेदार सागर प्रधान कहते हैं कि उनकी मुलाकात बिनागुड़ी में बिपिन रावत से हुई थी. वहां पर वो कमांडिंग ऑफिसर बनकर आए. जब मेरी पोस्टिंग हुई तो मुझे बुलाकर काफी मान सम्मान दिया, वो वक्त मुझे अब तक याद है.

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