राष्ट्रीय

जान के प्यासे तालिबान से बचने को ISIS ज्वाइन कर रहे हैं पूर्व अफगान जासूस

[ad_1]

नई दिल्ली. बीते अगस्त महीने में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पूरे देश की व्यवस्था हिल गई है. लगातार अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स आ रही हैं देश बड़ी आर्थिक और मानवीय त्रासदी से गुजर रहा है. लेकिन इन सबके बीच तालिबान लड़ाके पूर्ववर्ती अफगान सरकार के लोगों को निशाना बनाने से नहीं चूक रहे. इसी क्रम में अफगान सरकार में और अमेरिकी सैनिकों के जासूस रहे लोग भी तालिबान के निशाने पर हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान से जान बचाने के लिए कुछ जासूसों को कोई रास्ता नहीं दिखा तो वो ISIS के पास चले गए हैं.

वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी फौज द्वारा प्रशिक्षित कुछ जासूसों ने IS खोरासान ज्वाइन किया है. दरअसल तालिबान लड़ाके इन जासूसों को हर जगह तलाश कर रहे थे. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक IS खोरासान ज्वाइन करने वाले जासूसों की संख्या बेहद कम है. लेकिन कम संख्या में होने के बावजूद ये जासूस तालिबान शासन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं.

अमेरिकी फौज ने इन जासूसों को किया है तैयार
दरअसल अमेरिकी फौज द्वार प्रशिक्षित इन जासूसों के पास न सिर्फ लड़ने का अनुभव है बल्कि गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान और तकनीकी दक्षता भी इन्हें हासिल है. अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख रहमतुल्लाह नबील के मुताबिक-अकेले पड़े गए अफगान जासूसों को इस वक्त IS में आकर्षण दिख रहा है. दरअसल तालिबान सरकार आने के बाद IS खोरासान ने एक बाद एक कई धमाके कर तालिबान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

अगर रजिस्टेंस जारी रहता तो इस्लामिक स्टेट के पास नहीं जाते जासूस
नबील ये भी कहते हैं कि अगर अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद की अगुवाई में रजिस्टेंस जारी रहता तो ये जासूस जरूर उधर का रुख करते. लेकिन अब उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा है. वॉल स्ट्रीट की रिपोर्ट ये भी कहती है कि तालिबान शासन आने के बाद बाद पूर्व की अफगान सरकार के हजारों की संख्या में पुलिसकर्मी और सैनिक बेरोजगार हो गए हैं. बहुत कम संख्या में पुलिसकर्मियों और सैनिकों ने नए निजाम के साथ काम करना स्वीकार किया है.

तालिबान के सामने दोहरी चुनौती
IS खोरासान की शरण में पहुंचे इन जासूसों ने अगर इस्लामिक आतंकियों को ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी तो ये तालिबान के लिए नया सिरदर्द बन सकता है. तालिबान इस वक्त दुनियाभर से मान्यता के प्रयासों में लगा हुआ है. उस पर दबाव है कि वो अफगानिस्ताम में हिंसा को रोके. दूसरी तरफ IS खोरासान में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो आत्मघाती हमलावर हैं. तालिबान के पास एक ही रास्ता है कि वो इन पर हिंसात्मक कार्रवाई करे.

पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fapjunk