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स्पेस से लौटने के बाद इन स्थानों पर लैंड करेंगे गगनयान के अंतरिक्षयात्री, 2023 में मिशन होगा लॉन्च

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नई दिल्ली. देश के पहले मानव स्पेस मिशन (India’s first human space mission) गगनायन (Gaganyaan) के अंतरिक्षयात्रियों के धरती पर सकुलशल लैंडिंग के लिए दो स्थानों पर विचार किया जा रहा है. इस स्पेस मिशन से जुड़ें वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी सूचना दी है. रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष में एक सप्ताह बिताने के बाद गगनयान धरती पर लौटेगा. ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (Human Space Flight Centre -HSFC) के निदेशक डॉ उन्नीकृष्णन नायर ने कहा है कि 2023 में जब गगनायन धरती पर लैंड करेगा तो अरब सागर (Arabian Sea) इसकी पहली प्राथमिकता होगी. हालांकि बैक अप प्लान के लिए बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) पर भी विचार किया जा रहा है.

डॉ उन्नीकृष्णन ने एक ईयर बुक में इस संबंध में लेख लिखा है. उन्होंने लिखा है कि अगर अरब सागर वाले विकल्प पर किसी तरह की दिक्कत होती है तो दूसरे विकल्प के तौर पर बंगाल की खाड़ी में भी गगनयान उतर सकता है. इसरो ने गगनयान में दो से तीन अंतरिक्षयात्रियों को भेजने का फैसला किया है. 2023 में गगनयान के अंतरिक्षयात्री एक सप्ताह तक अंतरिक्ष में समय बिताने के बाद धरती पर वापस आएंगे. इसरो ने क्रू सदस्यों को गहरे समुद्र में 48 घंटे तक सुरक्षित रखने के लिए खास जीवनरक्षक किट तैयार की है.

बंगाल की खाड़ी है दूसरा विकल्प

अभियान पूरा करने के बाद क्रू माड्यूल को भारतीय तट के पास अरब सागर में उतारा जाएगा क्योंकि यह अपेक्षाकृत शांत है इसलिए यह इसके लिए पहली पसंद है. हालांकि विकल्प के तौर पर बंगाल की खाड़ी पर भी विचार किया जा रहा है. इसरो ने सतत एवं सस्ते मानव अंतरिक्ष अभियानों के लिए 2019 में बेंगलुरु में एचएसएफसी की स्थापना की थी और गगनयान इसकी पहली परियोजना है. लैंडिंग के बाद क्रू माड्यूल के को-आर्डिनेट्स (सटीक स्थिति) को विभिन्न पोतों पर प्रतीक्षा कर रही रिकवरी टीमों का साथ साझा किया जाएगा.

गगनयान में दोहरी दीवार प्रणाली वाला मॉड्यूल

बेंगलुरु स्थित इसरो में ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (एचएसएफसी) के निदेशक डा. उन्नीकृष्णन नायर ने ईयर बुक में लिखा है, गगनयान आर्बिटल माड्यूल (ओएम) धरती की कक्षा में 7800 मीटर प्रति सेकेंड बेग से चलेगा. गगनयान आर्बिटल माड्यूल के दो हिस्से हैं, पहला क्रू माड्यूल (सीएम या अंतरिक्ष यात्रियों के रहने का स्थान) और दूसरा सर्विस माड्यूल (एसएम). इसे थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम तकनीक पर डिजाइन किया गया है. यानी मॉड्यूल में दोहरी दीवार प्रणाली है ताकि किसी भी तापमान पर मॉड्यूल के अंदर अंतरिक्षयात्रियों को किसी तरह का नुकसान न हो. दोहरी दीवार प्रणाली के तहत उड़ान के दौरान तीव्र एरोडायनामिक हीटिंग से बचाने के लिए इसमें थर्मल प्रोटेक्टशन सिस्टम (टीपीएस) लगा है. इस मॉड्यूल का वजन करीब 8,000 किलोग्राम है.  इस मॉड्यूल को जीएसएलवी एम के थर्ड व्हीकल (GSLV MK-III vehicle) से रवाना किया जाएगा.

15 महीने तक रूस में प्रशिक्षण

गगनयानन के लिए चार सदस्यों का चयन किया गया है जिन्होंने 15 महीनों तक रूस में स्पेस फ्लाइट ट्रेनिंग लिया है. अब ये सदस्य बाकी का प्रशिक्षण बेंगलुरु में प्राप्त कर रहे हैं. देश के पहले मानव मिशन गगनयान को सकुशल पूरा करने के लिए रवाना होने वाले चार अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर रहते हुए ही अंतरिक्ष में जीने के तौर-तरीके सिखाए जाएंगे. उन्हें रवानगी की सावधानियां, अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के बिना रहना, वहां के विषम तापमान को सहना और वापसी में बचाव के गुर सिखाए जाएंगे. गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों की बचाव प्रणाली के प्रदर्शन की जांच करने के लिए परीक्षण उड़ान और गगनयान का पहला मानवरहित अभियान इस साल की दूसरी छमाही की शुरुआत में निर्धारित है.

Tags: India, Space

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