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अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार से मांगा जवाब, केंद्र को भी जारी किया नोटिस

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केरला: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) के आदेश के खिलाफ एक अपील पर केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस भेजा है. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की कोर्ट ने केरल सरकार की अपील पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, केरल राज्य अल्पसंख्यक आयोग और अन्य को नोटिस जारी किए और उनसे चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा.

दरअसल हाई कोर्ट ने 28 मई को अपने आदेश में मुस्लिम समुदाय को 80 प्रतिशत और लातिन कैथोलिक ईसाइयों तथा धर्मांतरित ईसाइयों को 20 प्रतिशत योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति प्रदान करके अल्पसंख्यकों को उप-वर्गीकृत करने का केरल सरकार का आदेश रद्द कर दिया था. केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चाली की बेंच ने कहा था कि अल्पसंख्यक छात्रों के बीच कोई भेद नहीं होना चाहिए.

केरल हाईकोर्ट में एक ईसाई मतावलंबी जस्टिन पल्लीवतुक्कल ने जनहित याचिका दाखिल कर इस योजना को चुनौती दी थी. अब इस मामले में केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. याचिका में सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को आतराकिक गलत सूचना पर आधरित और बिना सोचा हुआ विचार का बताया है . सरकार का कहना है कि छात्रवृत्ति योजना चलाने का फैसला जस्टिस सच्चर कमेटी और पिलोली मोहम्मद कुट्टी कमेटी की रिपोर्ट पर आधारित है.

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दो याचिकाओं पर जारी किया नोटिस
केरल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील सी यू सिंह पेश हुए. कोर्ट ने इससे जुड़ी दो याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किए. ये याचिकायें निजी संगठनों ‘माइनॉरिटी इंडियंस प्लानिंग एंड विजीलैंस कमीशन ट्रस्ट’ और ‘एमएसएम केरल स्टेट कमिटी’ ने दायर की हैं.

याचिकाकर्ता ‘माइनॉरिटी इंडियंस प्लानिंग एंड विजीलैंस कमीशन ट्रस्ट’ की तरफ से पेश वकील हरीश बीरन ने कोर्ट के समक्ष कहा कि सरकार का आदेश पिछले 13 वर्षों से लागू है और उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

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