उत्तराखंड

शिव गुफा में शिवलिंग पर टपकती है जलधारा, इस पानी को पीने से रोगों से मिलती है मुक्ति!

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पिथौरागढ़ के रई क्षेत्र में स्थित शिव गुफा अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए हैं. जिला मुख्यालय से एक किलोमीटर दूर स्थित इस गुफा के दर्शन करने लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि प्राचीन काल में गुफा के भीतर थन जैसी आकृतियों से दूध टपकता था. कलयुग में यह दूध की धाराएं पानी में बदल गईं.

दरअसल गुफा के अंदर एक विशाल चट्टान से बना शिवलिंग है, जिस पर गाय के थन जैसी आकृति से पानी टपकता है. थन जैसी आकृति को लोग यहां पर गड़मेश्वर महादेव के रूप में पूजते हैं. मान्यता है कि इस जलधारा का पानी पीने से शरीर के रोगों से मुक्ति मिलती है. इस गुफा के भीतर प्राकृतिक रूप से बनीं कई मूर्तियां हैं, जो भगवान के स्वरूप को प्रदर्शित करती हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव गुफा में स्थित पद चिन्ह की आकृति को भगवान शंकर के पद चिन्ह के रूप में लोग पूजते हैं. यहां पर चट्टान में प्राकृतिक रूप से बनी हुई गणेश भगवान की मूर्ति भी है, जिसे देखने लोग दूर-दूर से आते हैं.

हर साल शिवरात्रि पर शिव गुफा मंदिर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. सावन के महीने में भी काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. शिव गुफा में प्राकृतिक रूप से बनीं देवताओं के स्वरूप की आकृतियां वाकई आश्चर्य से भर देती हैं.

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