उत्तराखंड

उत्तराखंड में कौन बनेगा CM? कांग्रेस के भीतर सस्पेंस क्यों हरीश रावत के लिए बना झटका?

[ad_1]

देहरादून. उत्तराखंड की राजनीति में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस चुनाव के लिए ‘चेहरे की सियासत’ को लेकर सुर्खियों में आ गई है. एक तरफ कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने हाल में यह घोषणा कर दी कि कांग्रेस किसी एक नेता के बजाय सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी और बाद में तय किया जाएगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा, तो दूसरी तरफ, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पिछले बयानों को लेकर भाजपा ने रावत पर ‘फेस सेविंग’ का कटाक्ष कर दिया. अब स्थिति यह है कि कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के प्रमुख बनाए गए हरीश रावत की चेतावनी और सलाह को किनारे कर दिया गया है, तो क्या इस फैसले को रावत के लिए दोहरा झटका माना जाए?

कांग्रेस नेता यादव ने रविवार को यह ऐलान करते हुए कहा कि कांग्रेस के पास दस चेहरे हैं और बीजेपी के पास एक ही, इसलिए कांग्रेस अपने नेता का चयन चुनाव के नतीजों के बाद करेगी. हालांकि उन्होंने किसी चेहरे के बारे में खुलासा नहीं किया. इस घोषणा के बाद से ही सवाल और चर्चा यह है कि हरीश रावत दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं! खबरों की मानें तो यादव से जब पूछा गया कि क्या कांग्रेस में यह तय हो चुका है कि चुनाव से पहले किसी भी नेता को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया जाएगा, तो यादव ने ऐसे किसी फैसले से इनकार भी किया.

क्या कांग्रेस में है अंदरूनी कलह?

इस बयान के पीछे वजह क्या है? कांग्रेस के इस बयान से दो बातें साफ होती दिख रही हैं. एक तो यह कि हरीश रावत को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने से अंदरूनी कलह उभरकर सामने आने का डर पार्टी को है और दूसरी तरफ कांग्रेस में जिस तरह यशपाल आर्य व अन्य नेताओं की वापसी हुई है, उससे भविष्य में पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी बढ़ रही है. फिलहाल कांग्रेस ने चुनाव मैदान में बगैर किसी कलह के, सभी नेताओं को साधते हुए जाने का रुख इख्तियार किया है.

हरीश रावत के लिए क्या यह झटका है?

कांग्रेस के इस फैसले को क्यों हरीश रावत के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है? कुछ खास बातें जानें.

1. रावत का सुझाव था कि बीजेपी उत्तराखंड चुनाव को ‘नरेंद्र मोदी बनाम कांग्रेस’ न बना सके इसलिए पार्टी को सीएम चेहरा घोषित करना चाहिए, लेकिन पार्टी ने बात नहीं मानी.

2. पिछली बार रावत ने राज्य में दो सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों जगह हारे थे. 2019 में लोकसभा चुनाव भी हारे थे. पार्टी ने इस फैसले से रावत पर अविश्वास जताया है.

3. पंजाब में कांग्रेस के भीतर हुई बगावत के लिए भी रावत पर उंगली उठी है, क्योंकि वह पंजाब के प्रभारी भी रहे.

फेस सेविंग ठीक है, विपक्ष ने क्यों कहा?

पिछले दिनों न्यूज़18 से चर्चा के दौरान हरीश रावत ने कहा था कि वह चुनाव लड़ने से ज़्यादा चुनाव लड़वाने के मूड में हैं. इस बयान के राजनीतिक अर्थ तो यही निकल रहे हैं कि सीएम चेहरा प्रोजेक्ट न करने के कांग्रेस के रुख की भनक उन्हें थी. इधर, इस बयान पर कटाक्ष करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि रावत पिछले परिणामों से घबराए हुए हैं, इसलिए वह पहले से ही फेस सेविंग में जुट गए हैं.

Tags: Harish rawat, Uttarakhand Assembly Election 2022, Uttarakhand Congress, Uttarakhand news



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fapjunk