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विराट कोहली के अगले वर्ल्ड कप में कप्तान बने रहने की गारंटी खत्म, भारतीय खिलाड़ी भी समर्थन में नहीं!

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नई दिल्ली. विराट कोहली (Virat Kohli) का अगले महीने वर्ल्ड कप के बाद भारत की टी20 कप्तानी छोड़ने का फैसला निश्चित तौर पर बल्ले से लय हासिल करने से जुड़ा है लेकिन इससे संकेत मिलते हैं कि एक दिवसीय ढांचे में भी उन्हें इसी तरह की चीजों का सामना करना पड़ सकता है. कोहली ने कहा है कि वह अन्य दो फॉर्मेट में कप्तान बने रहेंगे लेकिन कोई भी स्पष्ट तौर पर यह नहीं कह सकता कि वह 2023 में होने वाले वर्ल्ड कप में भारत की 50 ओवर की टीम के कप्तान होंगे. काम के बोझ का प्रबंधन टी20 कप्तानी (Virat Kohli to quit T20I Captaincy) छोड़ने के लिए बिल्कुल स्वीकार्य कारण है लेकिन अगर 2023 तक भारत के कार्यक्रम को देखा जाए तो वर्ल्ड कप के अलावा टीम को लगभग 20 द्विपक्षीय टी20 मुकाबले ही खेलने हैं.

बीसीसीआई के एक सूत्र ने बताया, ‘विराट को पता है कि अगर टीम यूएई में टी20 वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो उन्हें वनडे, टी20 टीम की कप्तानी से हटाया जा सकता था. जहां तक सीमित ओवरों की कप्तानी का सवाल है तो उसने हटकर अच्छा किया है.’ उन्होंने कहा, ‘उसने अपने ऊपर से थोड़ा दबाव कम किया है क्योंकि ऐसा लग रहा है कि वह अपनी शर्तों पर यह काम कर रहा था. अगर टी20 में प्रदर्शन में गिरावट आती है तो शायद 50 ओवर में फॉर्मेट में ऐसा नहीं हो.’

तो क्या वर्ल्ड कप 2023 में बल्लेबाज के तौर पर खेलेंगे विराट?
बीसीसीआई अगर निकट भविष्य में कोहली से 50 ओवर के फॉर्मेट की कप्तानी भी ले लेता है तो यह हैरानी भरा नहीं होगा. टी20 वर्ल्ड कप में ट्रॉफी जीतने में नाकाम रहने के बाद कोहली को 50 ओवर के फॉर्मेट में भी स्पेशलिस्ट बल्लेबाज के तौर पर उतरना पड़ सकता है. इसमें कोई संदेह नहीं कि ड्रेसिंग रूम में भी उप कप्तान रोहित शर्मा को ‘नेतृत्वकर्ता’ माना जाता है जिन्होंने युवा खिलाड़ियों को साथ लेकर चलना सीख लिया है और वह इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियन्स के साथ साल दर साल ऐसा करते आए हैं.

कोहली को हासिल नहीं पूर्ण समर्थन?
कोहली को पिछले कुछ समय से ड्रेसिंग रूप में पूर्ण समर्थन हासिल नहीं है. उनको करीब से देखने वालों का मानना है कि उनकी कार्यशैली में लचीलापन नहीं है. साउथम्पटन में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में दो स्पिनरों के साथ उतरना हो या 2019 वर्ल्ड कप से पहले चौथे स्थान पर किसी खिलाड़ी को स्थापित नहीं होने देना, उनके अंदर लचीलेपन की कमी देखने को मिलती है. भारत ने इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला में भले ही 2-1 की बढ़त बनाई हो लेकिन दुनिया के नंबर एक आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को नहीं खिलाने के फैसले पर सवाल उठते हैं.

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पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड टेस्ट से पूर्व उन्हें पूर्ण समर्थन हासिल था लेकिन उस मैच में भारत के 36 रन पर सिमटने और फिर कोहली ने पितृत्व अवकाश पर जाने से चीजें काफी बदल गई. किसी ने खुलकर नहीं कहा लेकिन भारत ने जब अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम के साथ खेल रहे ऑस्ट्रेलिया (2018-19 के विपरीत) को पिछड़ने के बावजूद हराया तो खिलाड़ी अधिक एकजुट महसूस कर रहे थे.

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