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जानें क्या है इथियोपिया का चमत्कारी फल ‘एन्सेट’? पर्यावरण को कैसे होगा इससे फायदा

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नई दिल्ली. जहां दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को संतुलित करने के लिए तमाम तरह के प्रयास किये जा रहे हैं. वहीं एक बात तो साफ है कि पर्यावरण को बेहतर करने के लिए प्रकृति के रास्ते से जाना ही एकमात्र तरीका है. इसी खोज में वैज्ञानिकों के हाथ एन्सेट (Enset) का पौधा लगा है. इथियोपिया का प्रमुख भोजन एन्सेट को सुपर फूड और जलवायु परिरवर्न को रोकने में मददगार के तौर पर देखा जा रहा है. एक अध्ययन से सामने आया है कि केले जैसी दिखने वाली इस फसल से गर्म हो रही दुनिया के करीब दस करोड़ लोगों का पेट भरने की क्षमता है. इथियोपिया जहां इसे ब्रेड या दलिया की तरह बनाकर खाया जाता है. वहीं देश से बाहर इस फसल के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है.

बीबीसी में प्रकाशित खबर के मुताबिक, शोध बताती है कि अफ्रीकी के एक बहुत बडे इलाके में इसकी पैदावार की जा सकती है. इथियोपिया की अवासा यूनिवर्सिटी के डॉ वेंडावेक अबेबे का कहना है कि खाद्य सुरक्षा और सतत विकास के मद्देनज़र यह फसल एक अहम भूमिका निभा सकती है. केले जैसे फल देने वाले इस पौधा का फल तो खाने के लायक नहीं होता है लेकि इसका स्टार्च युक्त तना और जड़ को फर्मेंटेड (किण्वन) करके दलिया और रोटी बनाकर खाया जा सकता है.

इथियोपिया में प्रमुख भोजन एन्सेट और यहां के दो करोड़ लोग खाने के तौर पर इस पर निर्भर करते हैं वहीं, इसे दूसरी जगह पर इसे खेती नहीं की जाती है बल्कि यह इसे जंगली पौधे के तौर पर देख जाता है जो खाने योग्य नहीं माना जाता है. जबकि इस पौधे के बार में माना जाता है कि इसकी सहनशक्ति काफी ज्यादा होती है और यह आसानी से किसी भी विपरीत माहौल में बढ़ सकता है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले चार दशकों में यह एक एन्सेट एक अहम फसल बन सकती है जिसमें करीब 10 करोड़ लोगों का पेट भरने औऱ इथियोपिया सहित, दूसरे अफ्रीकी देश, केन्या, युगांडा, रवांडा की खाद्य सुरक्षा को बेहतर करने का दम है.

शोधार्थी डॉ जेम्स बोर्रेल का कहना है कि यह एक ऐसी सदाबहार फसल है जो कभी भी उगाई जा सकती है और कभी भी काटी जा सकती है, तभी इसे भूख से बचाने वाला पेड़ कहते हैं. इथियोपिया फसलों के मामले में अफ्रीका का केंद्र माना जाता है, जहां कॉफी सहित कई दूसरी फसलें उगाई जाती है. अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन के यहां पर भीषण परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

डॉ बोर्रेल कहते हैं कि पूरी दुनिया जितनी भी कैलोरी खाती है उसका आधा हिस्सा चावल गेंहूं और मक्का से आता है. यही वजह है कि कुछ प्रमुख फसलों पर ही दुनिया की निर्भरता बढ़ी है. ऐसे में खाने के मामले में दूसरी फसलों की तरफ दुनिया की रुचि बढ़ रही है. क्योंकि बढ़ती जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन की वजह से जो हमारे पास है वो काफी नही हैं.

Tags: Africa, Fruits

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