उत्तराखंड

Mahant Narendra Giri Suicide: ‌आनंद गिरी का दावा- लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे गुरुजी, तो कैसे लिखा सुसाइड नोट

[ad_1]

शगुन त्यागी

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़े के श्री महंत परम श्रद्धेय नरेंद्र गिरी जी महाराज के दवलोकन की खबर से क्षुब्ध हूं. वास्तव में अखाड़ा परिषद को असल पहचान मिली ही तब, जब नरेंद्र गिरी जी महाराज ने अखाड़ा परिषद की कमान संभाली. मुझे आज भी साल 2013 का प्रयाग राज महाकुंभ याद है, जब मेरी पहली भेंट नरेंद्र गिरी जी महाराज से हुई. सक्रिय पत्रकारिता छोड़ने के बाद जब मैं निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज के संपर्क में आया, तो उन्होंने मुझे अपने मीडिया सलाहकार के पद पर नियुक्त किया. उसी के बाद साल 2013 के प्रयागराज महाकुंभ में मेरी पहली बार भेंट अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में हुई. मैंने प्रत्यक्ष तौर पर देखा किस प्रकार द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी की मेला प्रशासन के साथ मेले में दी जाने वाली भूमि के विवाद को कैसे उन्होंने बेहद सरलता के साथ निपटाया. मैं हमेशा उनकी कार्यकुशलता का कायल रहा हूं. जीवन में पहली बार मैं उसी साल 2013 के महाकुंभ के दौरान अपने गुरु जी कैलाशानंद गिरी जी महाराज के साथ लेटे हनुमान जी के दर्शन के बाद प्रयागराज की बाघंबरी गद्दी मठ गया. उसी दौरान कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने मेरा परिचय नरेंद्र गिरी जी महाराज से कराया था. उसके बाद हमेशा मेरे प्रति आत्मीय लगाव रहा. मुझे सगुन बाबू कहकर पुकारा करते थे. लगातार चार कुंभों में मैंने उनके साथ काम किया. उनसे बहुत कुछ सीखा.

बाघंबरी गद्दी मठ में अतिथियों को परोसे जाने वाले दिव्य भोजन और भोजन को प्रेम भाव से खिलाने के तरीके का मैं कायल था. मठ के विद्यार्थियों को हमेशा सख्त लहजे में डांटते थे कि अतिथि को भोजन प्रेम से कराओ. अपने आश्रम की एक चीज पर बड़ी ही बारिक नजर रखते थे. अतिथि सत्कार और प्रेम का एक प्रत्यक्ष उदाहरण थे नरेंद्र गिरी जी महाराज. उनकी विशेषता थी कि हमेशा अपनी गाड़ी में लेटे हनुमान जी के मंदिर के प्रसाद रूपी लड्डू की पोटली रखा करते थे और जब भी मिलते हमेशा अपने सुरक्षाकर्मियों या ड्राइवर से कहते अरे सगुन बाबू को प्रसाद दो.

अभी हाल ही की बात है हरिद्वार कुंभ 2021 के दौरान उन्हें कोरोना ने अपनी चपेट में लिया था लेकिन बावजूद उसके उन्होंने बेहद सफलता पूर्वक महाकुंभ का सफल आयोजन कराया. नरेंद्र गिरी जी महाराज जैसे व्यक्तित्व का यूं समय चक्र को छोड़कर काल चक्र में चले जाना न सिर्फ दुखद है, बल्कि वैदिक सनातन धर्म को बहुत बड़ा आघात है. हाल ही में हरिद्वार कुंभ 2021 के समापन के बाद मुझे किसी खबर के विषय में उन्हें अवगत कराना था, तो मेरी उनसे फोन पर वार्ता हुई. मैंने उनसे कहा कि क्या मैं खबर आपको वॉट्सऐप पर भेजूं महाराज जी? लेकिन कैसे भेजूं, आपके इस नंबर पर तो वॉट्सऐप चलता नहीं है. क्या कोई दूसरा नंबर है? तो उन्होंने बड़ी ही सरलता से जवाब दिया – अरे सगुन बाबू हम तो वॉट्सऐप रखते ही नहीं हैं. बड़ी सिरदर्दी रहती है. तो मैंने उनसे कहा कि फिर आपको कैसे भेजूं क्योंकि मैं तो दिल्ली हूं और आप प्रयागराज. तो उन्होंने कहा कि अरे कोई आवश्यकता नहीं है, आपने पढ़ लिया न और आपने पढ़कर सुना दिया. बस बहुत है. नहीं तो ऐसा करें आप, प्रयागराज आ जाएं. लेटे हनुमान जी के दर्शन भी कर लीजिएगा.

ऐसी एक नहीं, हजारों यादें हैं जो श्री महंत नरेंद्र गिरी जी के साथ जुड़ी हैं. संतों के बीच रहकर मैंने अखाड़ा परिषद और अखाड़ों की परंपरा को बेहद करीब से देखा है. लगातार दूसरी बार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद पर चुने जाना और अखाड़ा परिषद को एक नए आयाम पर ले जाने का सेहरा नरेंद्र गिरी जी महाराज के सिर ही बांधा गया. 13 अखाड़ों को एकसाथ लेकर चलना. शाही स्नान को लेकर होने वाले विवादों को आपने साल 2013 के प्रयागराज कुंभ से पहले बेशक सुना हो, लेकन जबसे नरेंद्र गिरी जी महाराज ने अखाड़ा परिषद का जिम्मा संभाला तब से 13 के 13 अखाड़े एकजुट रहते और शाही स्नान में कभी किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं देखने को मिला. हमेशा सभी अखाड़ों को एकजुट रखने के लिए (विशेषकर कुंभ में) रात-दिन मेहनत करते थे नरेंद्र गिरी जी महाराज.

लिखने के लिए और भी बहुत कुछ है, लेकिन भावुकता आगे बढ़ने नहीं दे रही है. अंत में यही कहकर अपनी वाणी को विराम दूंगा और प्रभु से प्रार्थना करूंगा कि उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें. साथ ही उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु का सत्य जल्द से जल्द सामने आना चाहिए.

(डिस्क्लेमर: शगुन त्यागी पत्रकार रहे हैं और वे त्यागी कैलाशानंद जी के मीडिया सलाकार हैं. कैलाशानंद गिरी जी उसी निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर हैं, जिससे नरेंद्र गिरी जुड़े थे. ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fapjunk