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जम्मू कश्मीर में आफस्पा की समीक्षा के लिये समिति गठित करने की कोई जरूरत नहीं :उपराज्यपाल

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जम्मू. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Jammu and Kashmir Lieutenant Governor Manoj Sinha) ने सोमवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (आफस्पा- AFSPA) की समीक्षा के लिए समिति गठित करने की कोई जरूरत नहीं है. सिन्हा ने एक सवाल के जवाब में यह कहा. उनसे पूछा गया था कि क्या उन्हें जम्मू कश्मीर को आफस्पा की समीक्षा या उसे निरस्त करने के लिए समिति गठित करने की जरूरत महसूस हो रही है.

सिन्हा ने कहा, ‘इस बारे में चिंता नहीं करें. मैं इसपर गौर कर रहा हूं. मुझे नहीं लगता कि (इसकी समीक्षा के लिये समिति गठित करने की) ऐसी कोई जरूरत है. सिन्हा ने केंद्र शासित प्रदेश में जनसांख्यिकी में बदलाव होने के बारे में कुछ नेताओं की शंका को भी सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं इसे सिरे से खारिज करता हूं. मैं नेताओं के बयान पर प्रतिक्रिया नहीं दूंगा.’

बता दें केंद्र ने नगालैंड में आफस्पा हटाने की संभावना की पड़ताल के लिए शनिवार को एक उच्चस्तरीय समिति गठित की. नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद तनाव बढ़ने के मद्देनजर संभवत: यह कदम उठाया गया.

भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी पांच सदस्यीय समिति का नेतृत्व करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल समिति के सदस्य सचिव होंगे. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि समिति के अन्य सदस्य नगालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा क्रमशः नगालैंड और असम के मुख्यमंत्रियों नेफ्यू रियो और हिमंत बिस्वा सरमा के साथ बैठक करने के तीन दिन बाद समिति का गठन किया गया है. दिल्ली में 23 दिसंबर को हुई बैठक में नगालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई पैटन और नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टी आर जेलियांग भी शामिल थे. समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. समिति नगालैंड में अफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करेगी, जहां यह कानून दशकों से लागू है. समिति की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा.

क्या है अफस्पा
45 साल पहले भारतीय संसद ने ‘अफस्पा’ यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लागू किया, जो एक फौजी कानून है, जिसे ‘डिस्टर्ब’ क्षेत्रों में लागू किया जाता है, यह कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है. अफस्पा को एक सितंबर 1958 को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड सहित पूरे पूर्वोत्तर भारत में लागू किया गया था.

पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा रोकने के लिए इसे लागू किया गया था. पंजाब और चंडीगढ़ भी इसके दायरे में आए. हालांकि 1997 में इस कानून को वहां खत्म कर दिया गया. जम्मू और कश्मीर में ये जरूर 1990 से जारी है.

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