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ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों में हैं काफी हल्के लक्षण, दक्षिण अफ्रीका में देखी जा रही मामलों में तेज बढ़ोतरी

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नई दिल्‍ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron variant)  के भारत में अब तक 38 मामले सामने आ चुके हैं. अच्छी बात यह है कि सभी मरीजों में हल्के लक्षण नजर आए हैं. सरकार का कहना है कि अभी वैक्सीन की बूस्टर डोज  ( Booster Dose)  को लेकर तुरंत उनकी कोई योजना नहीं है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक ओमिक्रॉन 63 देशों में पाया जा चुका है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO)  के मुताबिक इसकी संक्रमण की गति डेल्टा से भी तेज है.

ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच, भारत में एक बार फिर से वैक्सीन की मांग और आपूर्ति में तेजी आई है. दुनियाभर के कई देशों ने फिर से यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है और वैक्सीन को भी अनिवार्य कर दिया है. हाल ही में नए वेरिएंट के संक्रमण पर काबू पाने के लिए यूके ने अपनी नई योजना के तहत इंग्लैंड में रहने वाले सभी वयस्कों को साल के अंत तक कोविड बूस्टर देने की घोषणा की है.

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क्या ओमिक्रॉन तेजी से फैल रहा है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ओमिक्रॉन डेल्टा वेरिएंट की तुलना में दक्षिण अफ्रीका में तेजी से फैला है जबकि वहां डेल्टा का संक्रमण कम था. लेकिन साथ में यह भी देखने को मिला है कि यह दूसरे देशों में भी डेल्टा से ज्यादा तेजी से फैल रहा है. इसमें वह देश भी शामिल हैं जहां डेल्टा ने भी अपना प्रकोप फैलाया था. दक्षिण अफ्रीका के ग्वातेंग जिसे इस प्रकोप का केंद्र माना जा रहा है वहां ओमिक्रान की प्रजनन दर यानी रिप्रोडक्शन रेट 3 से ज्यादा है, इसका मतलब है कि हर एक संक्रमित व्यक्ति अगले तीन या ज्यादा लोगों को संक्रमित कर सकता है. दक्षिण अफ्रीका में रिकॉर्ड गति से मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. देश में सोमवार को 37875 मामले सामने आए जबकि इससे पहले दिन नए मामलों की संख्या 17154 थी.

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क्या संक्रमण जानलेवा है
ओमिक्रॉन का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि लोग थकान और सिरदर्द की शिकायत कर रहे हैं वहीं जो लोग डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित हो चुके हैं उन्हें हल्की सांस लेने में दिक्कत और दिल की धड़कन तेज होने की शिकायत दिख रही है. दक्षिण अफ्रीका के तीन बड़े निजी अस्पतालों के संचालकों का कहना है कि पिछली लहर से यह मामले काफी हल्के लक्षण वाले हैं. कुछ ही लोगों को ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी है वहीं मौत के मामले भी काफी कम हैं.

क्या ओमिक्रॉन पर वैक्सीन असर दिखाएगी
शोध बताती है कि ओमिक्रॉन बड़े स्तर पर, लेकिन पूरी तरह से एंटीबॉडी को नाकाम करने में सक्षम नहीं है. गार्डियन की रिपोर्ट बताती है कि फाइजर या बायो एन टेक वैक्सीन के तीन डोज ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन शायद दो डोज के साथ ऐसा नहीं हो. प्रयोगशालाओं के मुताबिक अब बूस्टर डोज कार्यक्रम को बढ़ाने की ज़रूरत है. रक्त के नमूनों में एंटीबॉडी का उपयोग करके कुछ जांच के नतीजे मिले हैं जो बताते हैं कि दो डोज पर ओमिक्रॉन का खतरा नजर आता है. निष्कर्ष बताते हैं कि ओमिक्रॉन के मामले में फाइजर या बायो एन टेक को अब तीन डोज की वैक्सीन की तरफ ध्यान देना चाहिए. वहीं दुनियाभर के वैक्सीन निर्माताओं का कहना है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो ओमिक्रॉन से जुड़ी वैक्सीन को विकसित करने में और गति लाएंगे और मार्च 2022 तक इसे विकसित करने की कोशिश रहेगी.

क्या इसका बच्चों पर अलग असर पड़ेगा
दक्षिण अफ्रीका में अस्पताल में जो शुरुआत में जो भर्ती मरीज देखने को मिले उसमें 5 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या ज्यादा थी. हालांकि इनमें से ज्यादातर बहुत कम समय ही अस्पताल में रुके थे. दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री जो फाहला का कहना है कि सांस से जुड़ी कोई दिक्कत अब तक सामने नहीं आई है.

Tags: Booster Dose, Coronavirus, Omicron variant, WHO



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