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Politics of Uttarakhand : कहीं ‘बाहरी’ विधायक पर सियासत, तो कहीं ‘बाहर से लौटने वाले’ वोटरों पर

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वीरेन्द्र बिष्ट/चंदन बंगारी
नैनीताल/रुद्रपुर. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों के इंतज़ार के बीच राजनीतिक पार्टियां स्थानीय स्तर तक मुद्दों और वोटबैंक को संभालने की राजनीति कर रही हैं. कहीं ‘बाहरी’ कहे जाने वाले उम्मीदवारों को लेकर पार्टियां भिड़ रही हैं, तो कहीं ‘बाहर से लौटने’ वाले वोटरों को लुभाने के लिए. पहाड़ में ये प्रवासी वोटर किस पार्टी की मदद करेंगे, इसे लेकर सबके अपने दावे हैं. दूसरी तरफ, उधमसिंह नगर ज़िले की एक सीट पर पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के विधायक बेटे सौरभ पर बाहरी होने के आरोप लगाते हुए बीजेपी के ही पूर्व विधायक किरण मंडल ने मोर्चा खोल दिया है.

दरअसल कोरोना के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी पहाड़ लौटे थे, जिसे लेकर उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने स्वरोज़गार का सपना दिखाया था. रोज़गार न मिलने के चलते वो महानगर लौट गए, लेकिन इन वोटरों पर राजनीतिक दलों की नजरें हैं. आम आदमी पार्टी इन प्रवासियों के सहारे दिल्ली के काम को पहाड़ की जनता तक पहुंचाने का दावा कर रही है, तो बीजेपी इन प्रवासियों को स्वरोज़गार से जोड़ने के दावे के साथ वोट मांग रही है. कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने छल किया है और कांग्रेस की सरकार बनी तो निश्चित रोज़गार दिया जाएगा.

क्या हैं मुख्य पार्टियों के दावे?
AAP नेता प्रदीप दुम्का का कहना है कि उत्तराखंड के लाखों युवा दिल्ली में हैं और वहां की सुविधाओं की जानकारी वो पहाड़ तक पहुंचाकर आप की मदद कर रहे हैं. ‘इन्हीं लोगों ने केजरीवाल को उत्तराखंड में चुनाव लड़ने का न्यौता दिया.’ BJP नेता और सीएम के पीआरओ दिनेश आर्या का दावा है कि सरकार ने हज़ारों युवाओं को स्वरोज़गार से जोड़ा है इसलिए ये प्रवासी चुनाव में बीजेपी की मदद करेंगे.

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न्यूज़18 कार्टून.

कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार ने इन युवाओं को रोज़गार न देकर छला है और कांग्रेस प्रवासियों के रोज़गार का प्लान बनाकर पलायन रोकेगी. वास्तव में, पंचायत से विधानसभा चुनावों तक दिल्ली समेत अन्य महानगरों से प्रवासी वोट डालने पहाड़ आते रहे हैं. कई बार तो उमीदवार गाड़ी लगाकर इनको वोट डालने के लिए बुलाते रहे हैं. इन्हीं को साधने के लिए वहीं, UKD नेता राहूल जोशी का दावा है कि प्रवासी युवा इस बार राज्य के दल के साथ हैं.

सितारगंज में क्या है बहुगुणा बनाम मंडल जंग?
2012 में सितारगंज सीट तब चर्चाओं में आई थी, जब बीजेपी से विधायक बने किरण मंडल ने विजय बहुगुणा के लिए सीट छोड़ते हुए इस्तीफा दिया था. इस सीट पर उपचुनाव में जीतकर बहुगुणा मुख्यमंत्री बने थे और 2017 में उनके बेटे सौरभ यहां से विधायक बने. सितारगंज से पहली बार बंगाली समाज से विधायक बनने वाले किरण तबसे गायब ही थे, लेकिन इस बार चुनाव से ऐन पहले न सिर्फ सक्रिय बल्कि बहुगुणा परिवार पर हमलावर हैं. उनका कहना है कि बहुगुणा पिता पुत्र ने क्षेत्र का विकास नहीं किया. जनता इस बार ‘बाहरी’ को नहीं चाहती.

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ ने कहा कि वह चुनाव में किए सारे वादे पूरे कर चुके हैं. अब कांग्रेस से दावेदारी कर रहे मंडल के ‘बाहरी’ वाले आरोप पर उनका कहना है कि अगर ‘बाहरी’ को लेकर यही कांग्रेस की नीति है, तो पहले सोनिया गांधी को भी रायबरेली से इस्तीफा देना चाहिए. गौरतलब है कि सितारगंज में बंगाली समाज बड़ा वोट बैंक है और किरण मंडल समुदाय में पकड़ रखने वाले नेता हैं.

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