उत्तराखंड

उत्तराखंड बेराेजगार संघ का गंभीर आरोप, मंत्री-अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का खेल

देहरादून। उत्तरांचल प्रेस क्लब में उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्य्क्ष बॉबी पंवार ने प्रेस वार्ता कर एक अहम खुलासा किया। आज हम अति गंभीर व संवेदनशील प्रकरण में राज्य की जनता का ध्यान आकर्षि त करने व उनके संज्ञान हेतु प्रेस वार्ता करने जा रहे हैं। बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि जिन शिक्षकों की राज्य और राष्ट् निर्माण में अति महत्वपूर्ण भूमिका है आज उन्हीं शिक्षकों की चयन प्रक्रिया, उनकी योग्यता संदेह के घेरे में है। प्रवक्ता भर्ती हाे या उच्च शिक्षा में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की हाे सभी भर्तियां संदेह के घेरे में हैं।

भरसार विश्वविद्यालय में नियुक्ति संबंधित मामले के संदर्भ में
15.10.2016 को भरसार विश्वविद्यालय वीसी द्वारा विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्राेफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रेाफेसर की
नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी होता है इसके 2 दिन बाद दिनांक 17.10.2016 को वीसी द्वारा बिना अकादमिक परिषद के अनुमोदन के विज्ञापन में अर्लाइ ड सब्जेक्ट को शामिल किया गया। जिसके परिणामस्वरूप एक अभ्यर्थी द्वारा एक ही विषय की अलग-अलग शाखाओं के लिए तीन चार आवेदन किए। जिसके लिए वह योग्यता नहीं रखता था। जोकि यूजीसी व आईसीएआर के याेग्यता संबंधी मानकों के विपरीत है। नियुक्तियों हेतु जाे स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई थी उसके सदस्य, विषय विशेषज्ञ नहीं थे, जिसके लिए नियुक्तियाँ होनी थी।सामान्यतः नियुक्तियों हेतु एपीआई व साक्षात्कार में विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित अनुपात 80ः20 का रहता है जिसके स्थान पर 2016 के विज्ञापन में वीसी द्वारा अकादमिक परिषद की सहमति के बिना 60ः40 का कर दिया गया। जिसके परिणाम स्वरुप साक्षात्कार में मनमाने ढंग से अंक दिए गए। जबकि 2019 के नवीन विज्ञापन में यह अनुपात 80ः20 का है। स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा साक्षात्कार हेतु र्कइ विषयाें में एक विषय के सापेक्ष एक ही अभ्यर्थी को लिया गया जाे नियमावली के विरुद्ध था जिसमें उल्लेखित है कि साक्षात्कार हेतु 3 गुना अभ्यर्थि यों काे लिया जाए। नियुक्तियों हेतु विश्वविद्यालय की प्रबंध परिषद ही सर्वाेपरि है। 2016 में प्रबंध परिषद के अनुमोदन के बिना कार्यवाहक वीसी द्वारा मनमाने ढंग से नियुक्तियां की गई। जबकि कार्यकारी वीसी को नियमित नियुक्तियाें का कोईअधिकार नहीं है। इस मामले से स्पष्ट हो चुका है कि जिस प्रकार एपीआई व साक्षात्कार को आधार बनाकर राज्य के भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालय में मनमाने ढंग से नियुक्तियां की जा रही हैं अब उसी प्रकार की मनमानी शासन- प्रशासन राज्यों के महाविद्यालयों में करने जा रहा है।

उत्तराखंड बेराेजगार संघ लंबे समय से राज्य के महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक (असिस्टेंट प्राेफेसर) भर्ती हेतु लागू एर्पीआइ व्यवस्था का विरोध कर रहा है और नियमावली परिवर्तन हेतु कई प्रयास किए ताकि लिखित परीक्षाओं के माध्यम से ही चयन प्रक्रिया संपादित हो। हाल ही में शासन द्वारा राज्य में लंबे समय के बाद यूसेट की परीक्षा करवाने हेतु अधिसूचना जारी की गई। हम यह पूछना चाहते हैं कि राज्य सरकार आखिर क्याें ऐसा भद्दा मजाक उत्तराखंड राज्य के याेग्य नौजवानों के साथ कर रही है जब नेट सेट पास अभ्यर्थी प्रतियाेगिता के दौड़ से ही बाहर हो चुके हैं तो यूसेट का एग्जाम करवा कर क्यों परीक्षाओं के लिए भीड़ तैयार की जा रही है, जब तक असिस्टेंट प्राेफेसर भर्ती में नियमावली नहीं बदलती तब तक यूसेट जैसी परीक्षाओं का कोई औचित्य नहीं है।

उत्तराखंड बेरोजगार संघ गलत तरीके से हुई इन नियुक्तियों की जांच की मांग करता है, यदि जल्दी ही इन नियुक्तियों की जांच नहीं हुई तो छात्रों और छात्र संगठनों के साथ मिलकर प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। साथ ही वर्तमान में लोक सेवा आयोग द्वारा गतिमान असिस्टेंट प्राेफेसर भर्ती से एपीआई स्कोर को हटाया जाएं जिससे उत्तराखंड प्रदेश के युवाओं को अधिक लाभ मिल सकें*

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