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…तो क्या बदल जाएगा Jim Corbett National Park का नाम, जानिए क्या होगा नया और ऐसा हो रहा क्यों?

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रामनगर. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (Jim Corbett National Park) के नाम बदलने की बहस एक बार फिर जोर पकड़ती नजर आ रही है. इस संबंध में अब राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन (Corbett Tiger Reserve Administration) से अपना कमेंट देकर वस्तुस्थिति से अवगत कराने का अनुरोध किया है. दरअसल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व या कॉर्बेट नेशनल पार्क (Corbett National Park) अपने स्थापना के समय हेली नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता  था. सर मैलकम हेली ने ब्रिटिश शासन काल मे 1936 में एशिया के इस पहले नेशनल पार्क की स्थापना की थी. देश की आजादी के बाद इस पार्क का नाम बदल दिया गया. उस समय इसे रामगंगा नेशनल पार्क के नाम से जाना जाने लगा.

टाइगर रिजर्व का नाम बदलकर रामगंगा टाइगर रिजर्व रखने की मांग

जिम कॉर्बेट की मृत्यु के बाद इस पार्क के नाम को फिर बदल गया. फिर इसे कॉर्बेट नेशनल पार्क जो अब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि इस महान शिकारी ने इस पार्क को बनाने में बड़ा योगदान दिया था, जिसके चलते इसका नाम बदलकर उनके नाम पर जिम कॉर्बेट  किया गया था.  इसके नाम बदलने की बहस तब शुरू हुई थी, जब इसी साल केंद्रीय राज्यमंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय अश्विनी कुमार चौबे कॉर्बेट के भ्रमण पर आए थे. उस दौरान उन्होंने इस टाइगर रिजर्व का नाम बदलकर रामगंगा टाइगर रिजर्व करने का उल्लेख अपने एक कमेंट में किया था.

 रिटायर्ड आईएफएस ने मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को लिखा पत्र

मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का मत है कि कॉर्बेट के फ्लोरा और फोना में रामगंगा नदी का बड़ा महत्व है. यह यहां की लाइफलाइन है, इसलिए इसका नाम बदलकर रामगंगा टाइगर रिजर्व किया जाना चाहिए. अब इस विषय में एक पत्र रिटायर्ड आईएफएस आरएस भदौरिया ने मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को लिखा है, जिसे नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथरिटी के पास भेजा गया है. ऐसे में अब एनटीसीए ने कॉर्बेट प्रशासन से इस मामले में उनकी टिप्पणी वस्तुस्थिति से अवगत कराने का अनुरोध किया है. उधर अधिकतर स्थानीय लोग और पर्यटन कारोबारी इस नाम को बदलने के पक्ष  में नजर नहीं आते.

पर्यटन कारोबारी संजय छिमवाल कहते हैं कि कॉर्बेट अब एक स्थापित ब्रांड है. लोग यहां कॉर्बेट के नाम से ही इस पार्क को घूमने आते हैं. ऐसे में इस पार्क का नाम बदलने से कोई फायदा नहीं होने वाला, उल्टा इसका असर नकारात्मक ही पड़ेगा. स्थानीय युवा गणेश रावत भी पार्क का नाम बदलने के पक्ष में नजर नहीं आते. वह भी चाहते हैं कि इस नाम के साथ कोई छेड़छाड़ ना की जाए.

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