उत्तराखंड

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का होगा चुनाव, 13 अखाड़ों में हलचल, 5 अक्टूबर के बाद बैठक

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पुलकित शुक्ला

हरिद्वार. साधु-संतों की सर्वोच्च संस्था अखाड़ा परिषद (Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) की मौत के बाद परिषद के अध्यक्ष के चुनावों को लेकर सभी 13 अखाड़ों के साधु-संतों के बीच हलचल शुरू हो गई है. ऐसे में कुछ बैरागी संप्रदाय के संत अपने संप्रदाय को प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग भी उठा सकते हैं. यहां परिषद की बैठक में बैरागी साधु संन्यासी अध्यक्ष पद पर अपने प्रतिनिधि को काबिज़ करने की मांग कर सकते हैं.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद साधु संतों की सर्वोच्च संस्था है. अखाड़ा परिषद का मुख्य उद्देश्य कुंभ मेलों के दौरान सरकार और साधु-संतों के बीच समन्वय बनाना है. कुंभ मेलों के लिए सरकार संतों को कई सुविधाएं देती हैं. इन सुविधाओं का लाभ दूसरे संतों तक पहुंचाना और संतों की समस्याओं से सरकार को रूबरू कराने का काम अखाड़ा परिषद करती है. इसलिए अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष साधु संतों के बीच में एक महत्वपूर्ण पद होता है.

परिषद के उपाध्यक्ष का कहना है कि 5 अक्टूबर के बाद अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाई जाएगी. अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष देवेंद्र शास्त्री का कहना है कि दिवंगत नरेंद्र गिरी के षोडषी संस्कार के बाद अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाई जाएगी. हालांकि फिलहाल कोई कुंभ मेला नहीं है इसलिए बैठक बुलाए जाने की कोई जल्दी नहीं है.

एक पद संन्यासियों और दूसरा बैरागियों को मिलता है

साधु संतों के 13 प्रमुख अखाड़े हैं. ये अखाड़े चार संप्रदाय में बंटे हैं. 13 अखाड़ों में 7 संन्यासी और 3 बैरागी संप्रदाय के अखाड़े हैं. हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान नरेंद्र गिरी को परिषद का अध्यक्ष और महंत हरी गिरी को दोबारा महामंत्री बनाया गया था, जिसको लेकर बैरागी संप्रदाय के संतों में नाराजगी थी और वे परिषद को भंग करने की मांग कर रहे थे. बैरागी संप्रदाय के संत बाबा हठयोगी का कहना है कि नियम के अनुसार अध्यक्ष और महामंत्री में एक पद संन्यासी अखाड़ा और दूसरा पद बैरागी अखाड़ों को मिलना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो अखाड़ा परिषद को भंग कर देना चाहिए.

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