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अलबर्ट एक्का गुमला के वो हीरो जिन्होंने पाक में घुसकर दुश्मनों को किया था तबाह, आज इस हालत में है शहीद का घर

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रिपोर्ट-रूपेश कुमार भगत

गुमला. ‘मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर देना तुम फेक मात्र भूमि पे शीश चढ़ाने जिस पथ पर जाते वीर अनेक’ यह कथन परमवीर चक्र विजेता व जारी गांव के वीर सपूत शहीद अलबर्ट एक्का पर सटीक बैठता है. आज यानी कि 3 दिसंबर को शहीद अलबर्ट एक्का  (Lance Naik Albert Ekka) की शहादत दिवस है. झारखंड के गुमला जिले के जारी गांव में जन्मे अलबर्ट एक्का ने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध (1971 indo-pak war) में अपनी अदम्य साहस का परिचय दिया था. उन्होंने पाकिस्तान में घुसकर बंकर नष्ट किये थे और दुश्मनों को मार गिराया था.  1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी. इस युद्ध में अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हुए अलबर्ट शहीद हो गए थे.

मरणोपरांत उन्हें देश की सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. आज उनके शहादत को पूरे 50 साल पूरे हो गए हैं. शहीद अलबर्ट एक्का बिहार और झारखंड राज्य के एक मात्र परमवीर चक्र विजेता हैं. 1971 के युद्ध में दुश्मन की तरफ से लगातार हमला किया जा रहा था, जिसमें कई भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. तबअलबर्ट एक्का दौड़ते हुए टॉप टावर के ऊपर चढ़ गये थे. इसके बाद टॉप टावर के मशीनगन को अपने कब्जे में लेकर दुश्मनों को तहस नहस कर दिया था. इस दौरान उन्हें 20 से 25 गोलियां लगी थी, पूरा शरीर गोलियों से छलनी था.वे टॉप टावर से नीचे गिर गये थे, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी.

शहीद अलबर्ट एक्का परिवार

गुमला जिला के छोटे से जारी गांव है में 1942 को जुलियस एक्का व मरियम एक्का के परिवार में अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था. अलबर्ट ने प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही सीसी पतराटोली व मिडिल स्कूल की पढ़ाई भिखमपुर स्कूल से की. लांस नायक अल्बर्ट एक्का का विवाह 1968 में बलमदीना एक्का से हुआ. बलमदीना से शादी के बाद 1969 में एक बेटा हुआ, जिसका नाम भिंसेंट एक्का है. भिंसेंट जिस समय मात्र दो वर्ष का था. उसी समय अलबर्ट एक्का 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हो गये थे.

बलमदीना को अपने पति के दिवंगत होने का समाचार अपने ससुर से मिला. खबर सुनते ही बलमदीना के आंखों के आगे अंधेरा छा गया था. इसके बावजूद बलदमीना एक्का के चेहरे पर अपने शहीद पति की वीरता के गर्व का भाव था. बलमदीना ने अपने बेटे भिंसेंट को खूब पढ़ाया. भिसेंट भी अपने पिता की तरह सेना में भर्ती होना चाहते थे. लेकिन अपने पति को खोने के बाद बलमदीना को हर समय एक डर रहता था. इसी वजह से भिंसेंट सेना में नहीं गए. लंबे संघर्ष के बाद शहीद के बेटे भिसेंट की सरकारी नौकरी लग सकी.  वहीं शहीद की पत्नी बलमदीना एक्का का निधन हो गया है और उनके शव को शहीद के समाधि स्थल के समीप ही दफनाया गया है. बता दें कि शहीद अल्बर्ट एक्का का जन्म जारी प्रखण्ड के जिस घर में हुआ था. वह घर अब ध्वस्त होने की कगार पर है. शहीद का घर कभी भी ध्वस्त हो सकता है.

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Tags: Gumla news, Jharkhand news



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