उत्तराखंड

टिहरी झील का जलस्तर बढ़ा: तटवर्ती गांवों में भूस्खलन, अब ग्रामीणों के सामने ये चुनौतियां

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टिहरी. टिहरी डैम (Tehri Dam) की झील का जलस्तर बढ़ाने की अनुमति के बाद टीएचडीसी द्वारा टिहरी डैम की झील का जलस्तर 830 मीटर तक भर लिया है. इसके बाद टिहरी झील से सटे गांवों में भूस्खलन और भूधसाव बढ़ने लगा है. इसको लेकर ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है तो टीएचडीसी 835 मीटर तक पूरा विस्थापन होने की बात कह रहा है.

टीएचडीसी को अभी तक टिहरी डैम की झील का जलस्तर 828 मीटर तक भरने की अनुमति थी. टीएचडीसी लगातार जलस्तर को 830 मीटर तक भरने की परमिशन मांग रहा था. केंद्र सरकार में हुई बैठक और कुछ शर्तों के बाद टीएचडीसी को टिहरी डैम की झील का जलस्तर 830 मीटर तक भरने की परमिशन दे दी गई. इन दिनों टिहरी डैम की झील का जलस्तर अपने सबसे अधिक 830 मीटर तक पहुंच गया है, जिससे झील से सटे रामगांव, तिवाड़गांव, उप्पू, भटकंडा, सिराई में भूस्खलन और भूधसाव भी बढ़ने लगा है.

झील के सबसे नजदीक के तिवाड़ और राम गांव में तो हालात और भी बुरे हो गए हैं. मकानों की दीवारें फटने लगी हैं तो छत एक ओर झुक गई है. खेती योग्य भूमि धीरे धीरे झील के पानी में समा रही है. कई लोग अपना घर बार छोड़ चुके हैं तो कई लोगों ने दूसरे के घरों में पनाह ले रखी है.

17 गांवों का अभी तक विस्थापन नहीं

टिहरी डैम की झील से प्रभावित 17 गांवों का अभी तक विस्थापन नहीं हो पाया है. प्रभावित ग्रामीण हर वर्ष मकानों की रिपेयरिंग कराते हैं, लेकिन फिर वही हाल हो जाता है. झील का जलस्तर बढ़ने के साथ ही अब सांप और बिच्छू जैसे जहरीले जानवर भी घरों में घुसने लगे हैं, जिससे कई बार हादसे होते होते बचे हैं. वहीं टीएचडीसी 835 मीटर तक पूरा विस्थापन और कोलेट्रेल डैमेज पॉलिसी के तहत पुर्नवास विभाग को पैसा दिए जाने की बात कह रहा है. पुर्नवास निदेशक उमेश कुमार सक्सेना का कहना है कि टीएचडीसी को इसके लिए पत्र लिखा गया है और अभी तक पैसा नहीं मिला है.

टिहरी डैम की झील के पानी के उतार चढ़ाव के चलते टिहरी डैम की झील से सटे गांव लंबे समय से विस्थापन की राह देख रहे हैं. अब जलस्तर 830 मीटर किए जाने से ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ गई है, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

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