भारत और नेपाल के बीच होगा करार, महाकाली नदी पर बनेगा पुल, उत्तराखंड को क्या फायदा होगा?
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नई दिल्ली/देहरादून. उत्तराखंड के धारचूला में महाकाली नदी पर एक पुल के निर्माण के लिए भारत और नेपाल के बीच एक करार होने जा रहा है, जिसे गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंज़ूरी दे दी है. मीडिया को यह जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जल्द ही भारत और नेपाल इस दिशा में एक एमओयू पर हस्ताक्षर करेंगे और इस प्रस्तावित पुल का काम तीन साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस पुल पर करार हो जाने से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध और बेहतर हो सकेंगे.
इस संबंध में बताते हुए ठाकुर ने कहा कि इस पुल के निर्माण से उत्तराखंड के धारचूला में रहने और वहां से आने जाने वाले लोगों के साथ ही नेपाल के सीमांत इलाके से यात्रा करने वालों को भी काफी मदद मिलेगी. पीटीआई की एक खबर के मुताबिक ठाकुर ने नेपाल को भारत का पुराना और करीबी पड़ोसी बताते हुए कहा कि दोनों देश लंबे समय में गहरी दोस्ती और सांस्कृतिक रिश्ते रखते हैं, जिसका सबूत दोनों देशों के बीच ओपन बॉर्डर का होना रहा है. दोस्ती और आपसी समझ के इस रिश्ते में यह पुल एक बड़ी भूमिका निभाएगा.
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उत्तराखंड में महाकाली नदी में रिवर राफ्टिंग पर्यटन की अपार संभावनाएं बताई जाती हैं.
महाकाली नदी पर अटक चुका है डैम का प्रस्ताव
भारत और नेपाल के बीच सिंचाई और बिजली उत्पादन के मकसद से पंचेश्वर डैम की परियोजना 1995 में महाकाली नदी पर ही चर्चा में आई थी, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका. दोनों ही देशों में सत्ता परिवर्तन के कारण चर्चाएं रुकी थीं. खबरों की मानें तो 5600 मेगावाट उत्पादन के लिए प्रस्तावित पंचेश्वर डैम को लेकर 2013 में एक बार फिर बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन यह मामला अटका ही रहा.
उत्तराखंड के लिए कितनी अहम है महाकाली नदी?
भारत में इसे शारदा, काली, काली गंगा जैसे नामों से भी जाना जाता है और महाकाली नदी को कुमाऊं और नेपाल के बीच सीमा भी कहा जाता है. नेपाल में जहां सुदूर पश्चिम में महाकाली बहती है, तो भारत में उत्तराखंड में प्रमुख नदी है. पिथौरागढ़, चंपावत के साथ ही उधमसिंह नगर ज़िले के कुछ हिस्से में महाकाली का विस्तार है. कालापानी से प्रवाहित होने वाली यह नदी लिपुलेख और लिम्प्याधुरा इलाकों में भी अहम नदी है.
पर्यटन के लिहाज से भी ये नदी है अहम
यही नहीं, उत्तराखंड में पर्यटन के लिहाज़ से भी महाकाली या शारदा नदी अहम् है. कुमाऊं में चूंकि काली और गोरी गंगा का मिलनस्थल है इसलिए टनकपुर के पास काफी बड़ा पाट बनता है और रिवर राफ्टिंग के लिए देश भर से यहां पर्यटक पहुंचते हैं. इसके साथ ही, इस नदी के घाटों पर हिंदुओं के कई पुराने और प्रसिद्ध मंदिर भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं.
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