टिकट की विकट होड़ : उत्तराखंड की यह विधानसभा सीट बनी हॉट, कैसे मैनेज करेंगी BJP-कांग्रेस?
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पिथौरागढ़. ‘मैं भी दावेदार, मैं भी दावेदार…’ एक लाख से कुछ ज़्यादा वोटरों वाली विधानसभा सीट गंगोलीहाट में इन दिनों यही आवाज़ सुनाई दे रही है. भाजपा या कांग्रेस, किसी भी बैनर तले कोई मजमा लगा हो, आगामी विधानसभा चुनाव के टिकट के लिए आवाज़ें गूंज रही हैं. दोनों प्रमुख दलों से करीब एक दर्जन नेता अपनी पार्टी से टिकट मांग रहे हैं और आलम यह है कि टिकट न मिलने पर बगावत के खतरे से भी इनकार नहीं किया जा सकता. इस सीट पर मुख्य मुकाबला हमेशा ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहा है, लेकिन इस बार इन दोनों दलों के लिए यहां एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति किस तरह है, देखिए.
कैसा रहा है इस सीट का चुनावी गणित?
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गंगोलीहाट विधानसभा कभी पंजे की पकड़ में रही तो कभी यहां कमल खिला. इस सीट पर कोई भी पार्टी लगातार दो बार चुनाव नहीं जीत पाई है. बीते चार चुनावों में 2 बार कांग्रेस के नारायण राम जीते जबकि 2009 में बीजेपी के जोगाराम और 2017 में मीना गंगोला ने जीत दर्ज की. बीजेपी की सिटिंग विधायक गंगोला के साथ ही कांग्रेस से सीनियर नेता यहां होने के बावजूद दोनों दलों से दावेदारों की बाढ़ आ गई है. दोनों ही पार्टियां दावेदारी को जायज़ बता रही हैं और इसे खतरा मानने से इनकार कर रही हैं.
”बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है तो हर किसी की इच्छा टिकट पाने की है. दावेदारी पेश करने का हक सबको है, लेकिन टिकट मिलने के बाद सभी एकजुटता से काम करेंगे.”
सुरेश जोशी, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता
गंगोलीहाट सीट पर दावेदारों की बड़ी संख्या भाजपा और कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन सकती है.
आखिर कौन कौन है दावेदार?
बीजेपी की ओर से इस सीट पर विधायक मीना गंगोला के अलावा गीता ठाकुर, फकीर राम, दिनेश आर्य, दर्पण कुमार ने दावेदारी पेश कर दी है, जबकि कांग्रेस से पूर्व विधायक नारायण राम आर्या के साथ खजान गुड्डू, जगदीश कुमार, भीम कुमार, मनोज साहनी और गोविंद भारती ने ताल ठोकी है. फिलहाल गंगोलीहाट सीट पर लगातार बढ़ती दावेदारों की फौज को दोनों ही पार्टियां अपनी लोकप्रियता से जोड़ रही हैं.
”कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी है, कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर जीत का भरोसा होता है. यही वजह है कि टिकट के दावेदार लगातार बढ़ रहे हैं.”
एमडी जोशी, कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री(संगठन)
टिकट नहीं मिला तो क्या बगावत होगी?
भले ही दोनों पार्टियां दावेदारों की संख्या को लोकप्रियता बता रहे हों, लेकिन उनका सिरदर्द कम नहीं है. बीते चुनावों में कांग्रेस हो या फिर बीजेपी, आंकड़े गवाह हैं कि बागियों ने दोनों को खासा नुकसान पहुंचाया था. ऐसे में, दोनों दलों के लिए टिकट की चाह ऱखने वालों को मनाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है.
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