उत्तराखंड

UK Chunav: कुमाऊं के सियासी केंद्र हल्द्वानी में ‘मुस्लिम सियासत’ क्यों? SP के बाद AIMIM ने भी ठोकी ताल

[ad_1]

हल्द्वानी. उत्तराखंड की सियासत में हल्द्वानी सीट हमेशा से हॉट रही है. इस सीट को कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा हृदयेश के गढ़ के तौर पर जाना जाता रहा. चूंकि 2022 विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले हृदयेश का निधन हो गया इसलिए इस सीट के गुणा भाग अब बदलते दिख रहे हैं. सियासत का रंग ऐसा है कि यहां गैर प्रभावी रही राजनीतिक पार्टियां भी जीतने के मंसूबे बांधती दिख रही हैं. 40,000 से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं वाली इस सीट पर कांग्रेस के साथ विशेषकर समाजवादी पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी AIMIM की भी निगाह है.

इस सीट पर आबादी के आंकड़ों के मद्देनज़र फायरब्रांड मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी और अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी भी हल्द्वानी चुनाव मैदान में उतर चुकी है. पहले सपा और फिर कांग्रेस में रहे अब्दुल मतीन सिद्दीकी AIMIM के हल्द्वानी प्रत्याशी बने हैं जबकि सपा ने अपने प्रदेश महासचिव शोएब अहमद को मैदान में उतारा है. खास बात ये है कि सिद्दीकी और अहमद दोनों ही चुनावी राजनीति में पहले भी भाग्य आजमा चुके हैं. अब जानने की बात यह है कि इस सीट का गणित क्या है और कांग्रेस के सामने यहां क्या चुनौती है.

वनभूलपुरा का इलाका है मुस्लिम वोटरों का गढ़
इंदिरा नगर, नई बस्ती, मंडी और लाइन नंबर वाले वनभूलपुरा के इलाके में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी संख्या में है. हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आस-पास भी घनी मुस्लिम आबादी का क्षेत्र है. ताज़ा मतदाता सूची के मुताबिक हल्द्वानी में कुल एक लाख 50 हजार 634 वोटर हैं, जिनमें से मुस्लिम इलाके में पड़ने आने वाले वोटरों की संख्या 43,969 है. यहां कुल 52 बूथ हैं. ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या निर्णायक स्थिति में है.

Uttarakhand election news, haldwani news, haldwani election, haldwani candidates, उत्तराखंड चुनाव समाचार, हल्द्वानी चुनाव, हल्द्वानी उम्मीदवार, 2022 Uttarakhand Assembly Elections, Uttarakhand Assembly Election, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव, उत्तराखंड चुनाव 2022, UK Polls, UK Polls 2022, UK Assembly Elections, UK Vidhan sabha chunav, Vidhan sabha Chunav 2022, UK Assembly Election News, UK Assembly Election Updates, aaj ki taza khabar, UK news, UK news live today, UK news india, UK news today hindi, उत्तराखंड ताजा समाचार

सपा के बाद AIMIM ने मुस्लिम चेहरे को चुनाव मैदान में उतारा.

क्या है कांग्रेस के लिए चुनौती
अपने बड़े कद और कामों के कारण इंदिरा हृदयेश यहां के वोटरों को अपने पक्ष में थामे रखती थीं, लेकिन उनके निधन के बाद कांग्रेस के लिए इन मतदाताओं को पार्टी के साथ बांधे रख पाना एक बड़ी चुनौती है. कांग्रेस के सामने इस चुनौती को समझते हुए ही यहां के वोटों पर सभी पार्टियों की निगाह है.

पिछले 4 चुनाव : कैसा रहा सीट और इंदिरा का इतिहास?
राज्य बनने के बाद साल 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में हल्द्वानी से इंदिरा हृदयेश की जीत हुई. हृदयेश को 23,327 और बीजेपी प्रत्याशी बंशीधर भगत को 20,269 वोट मिले थे. इस चुनाव में तीन मुस्लिम प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में थे. बीएसपी के अब्दुल कवि को 3,113, एसपी के अब्दुल मतीन को 9,563 और अन्य प्रत्याशी इरशाद हुसैन को 102 वोट मिले थे. फिर 2007 में भगत को 39,248 वोट मिले जबकि हृदयेश को 35,013. भगत जीते थे लेकिन उस चुनाव में भी एसपी के टिकट पर अब्दुल मतीन सिद्दीकी को 18,967 वोट मिले थे.

2007 के चुनाव में कांग्रेस से बागी होकर मोहन पाठक ने चुनाव लड़कर 10,361 वोट झटके थे, जिसके चलते हृदयेश को करीब 4000 वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा. लेकिन 2012 में हल्द्वानी सीट का परिसीमन हुआ और ग्रामीण इलाके को हटाकर कालाढूंगी विधानसभा में शामिल कर दिया गया. उस चुनाव में हृदयेश को 42,627 वोट मिले और बीजेपी के टिकट से रेनू अधिकारी 19,044 वोट ही जुटा सकीं.

हृदयेश की 23,583 वोटों से जीत वाले इस चुनाव में बीएसपी के रईस-उल-हसन, एसपी के सिद्दीकी, तृणमूल कांग्रेस के समीर उल्ला खान और निर्दलीय निसार अहमद व मोहम्मद असद रजा भी मैदान में थे. 2017 में भी इंदिरा हृदयेश का जलवा ही बरकरार रहा था.

आपके शहर से (हल्द्वानी)

उत्तराखंड

हल्द्वानी

उत्तराखंड

हल्द्वानी

Tags: Haldwani news, Uttarakhand Assembly Election

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fapjunk