अंतर्राष्ट्रीय

सूडान में सेना के तख्तापलट के बाद अमेरिका ने रोकी 70 करोड़ डॉलर मदद

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खारतूम. सूडान की सेना (Sudan Army) ने सोमवार को प्रधानमंत्री अब्दाला हमदोक को गिरफ्तार करने के कुछ घंटों बाद कार्यवाहक सरकार को बर्खास्त कर सत्ता पर कब्जा कर लिया. इस दौरान हुई गोलीबारी में 7 लोगों की मौत हो गई. इस तख्तापलट (Military Coup) की अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने निंदा की है. वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बाइडन प्रशासन (Joe Biden) ने सूडान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की सहायता राशि को निलंबित कर रहा है.

दरअसल, सोमवार को सेना ने प्रधानमंत्री अब्दाला हमदोक समेत कई सीनियर अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया. सभी को किसी अज्ञात जगह लेकर गई. इसके बाद हजारों लोग इस तख्तापलट के विरोध में सड़कों पर आ गए. सुरक्षा बलों ने भीड़ पर गोली चलाई, जिसमें सात प्रदर्शनकारी मारे गए और 130 लोग घायल हो गए.

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जनरल अब्देल फतह बुरहान ने टेलीविजन पर दिए संदेश में घोषणा की कि देश की सत्तारूढ़ स्वायत्तशासी परिषद् और प्रधानमंत्री अब्दाला हमदोक के नेतृत्व वाली सरकार को भंग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक धड़ों के बीच झगड़े के चलते सेना को हस्तक्षेप करने को बाध्य होना पड़ा लेकिन उन्होंने देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरा करने का संकल्प जताया और कहा कि नयी टेक्नोक्रेट सरकार सूडान में चुनाव कराएगी.

सत्ता पर सेना के कब्जे के विरोध में हजारों लोग राजधानी खार्तूम और इसके पास के शहर ओमडर्मन में सड़कों पर उतरे. ऑनलाइन साझा किए गए वीडियो में दिख रहा है कि प्रदर्शनकारी सड़कें जाम कर रहे हैं और टायरों में आग लगा रहे हैं, वहीं सुरक्षा बल उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दाग रहे हैं. प्रदर्शनकारियों को नारे लगाते सुना जा सकता है ‘लोग मजबूत हैं, मजबूत हैं’ और ‘पीछे हटना विकल्प नहीं है.’ सोशल मीडिया पर वीडियो में दिख रहा है कि काफी संख्या में लोग नील नदी पर बने पुल को पार कर राजधानी पहुंच रहे हैं.

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कैसी थी देश की सरकार?
पूर्व निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से हटाए जाने के बाद, दो साल से अधिक समय से जारी लोकतंत्रिक सरकार बनाने के प्रयासों के बीच यह खबर सामने आई है. यह घटनाक्रम तब हुआ है, जब बुरहान सत्तारूढ़ अस्थायी परिषद् का नेतृत्व असैन्य सरकार को सौंपने वाले थे. अल-बशीर के सत्ता से हटने के तुरंत बाद से स्वायत्तशासी परिषद् सरकार चला रही थी, जिसमें सेना और नागरिक दोनों शामिल थे. उनके बीच सूडान में कई मुद्दों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाने की गति पर काफी मतभेद थे. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने सोमवार के घटनाक्रम पर चिंता जताई.

इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं
सूचना मंत्रालय ने कहा कि सत्ता पर कब्जे के तहत इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और देश के सरकारी समाचार चैनल ने परंपरागत देशभक्ति संगीत बजाया. सेना ने ओमडर्मन में सूडान के सरकारी टेलिविजन पर धावा बोलकर कई कर्मियों को हिरासत में ले लिया. यह गिरफ्तारी ऐसे वक्त हुई है जब दो सप्ताह पहले ही सूडान के असैन्य और सैन्य नेताओं के बीच तनाव बढ़ गया था.

बता दें कि सितंबर में तख्तापलट की नाकाम कोशिश हुई और अत्यंत रूढ़िवादी इस्लाम समर्थकों को इससे बल मिला जो निरंकुश पूर्व शासक उमर अल-बशीर को व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता से हटाने वालों के खिलाफ सैन्य सरकार चाहते हैं. हाल के दिनों में दोनों खेमे सड़कों पर जोरदार विरोध- प्रदर्शन कर रहे थे.

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