उत्तराखंड

Uttarakhand Assembly Election: …तो क्या उत्तराखंड में कांग्रेस ने खोज निकाला जीत का फॉर्मूला!

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देहरादून/हल्द्वानी. अगले साल यानी 2022 विधानसभा चुनाव जीतने के लिए हर पार्टी फार्मूला खोजने में जुटी है. विशेष तौर पर राजनीतिक दल जातीय और धार्मिक गणित साधने में जुटे हुए हैं. राजनीतिक दल सोशल इंजीनियरिंग के जरिए जंग जीतने की तैयारी कर रहे हैं. विशेष तौर पर कांग्रेस सवर्ण, दलित, मुस्लिम और सिख मतदाताओं को जोड़कर जीत का कॉन्बिनेशन देख रही है. इस फार्मूले से कांग्रेस को ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल जिले की कुछ सीटों में नई आस दिख रही है. जहां यह सोशल इंजीनियरिंग बड़ी कारगर साबित हो सकती है. हरिद्वार में दलित और मुस्लिम मतदाता बाजी पलट सकते हैं, जबकि ऊधम सिंह नगर में पिछड़े, मुस्लिम और सिख मतदाता काफी हद तक कांग्रेस की उम्मीद हैं.

यही वजह है कि कांग्रेस यशपाल आर्य की पार्टी में वापसी के बाद ही उन्हें ज्यादा तरजीह दे रही है. प्रदेश के सबसे बड़े दलित नेता यशपाल आर्य और और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य का कांग्रेस में भव्य स्वागत बता रहा है कि कांग्रेस किस कदर दलित वोटरों को साधने की फिराक में है. यशपाल आर्य का पहले देहरादून में भव्य स्वागत हुआ फिर हल्द्वानी में. यही नहीं कांग्रेस कैंपेन कमिटी के चेयरमैन हरीश रावत हर जगह अपने साथ पीसीसी चीफ गणेश गोदियाल और यशपाल आर्य को साथ लेकर चल रहे हैं.

हरीश रावत को यशपाल से बड़ी उम्मीद

हरीश रावत बेबाकी से मानते हैं कि 2017 के विधानसभा चुनाव में जो दलित वोटर कांग्रेस का परंपरागत मतदाता था, वह छिटककर बीजेपी में चला गया था. इसी वजह से जीत कांग्रेस के हाथ से फिसल गई थी. रावत के मुताबिक यशपाल आर्य को कांग्रेस की और कांग्रेस को यशपाल आर्य की जरूरत थी. इसलिए आर्य को दोबारा से पार्टी में वापस लेने का फैसला लिया गया. अब पूर्व सीएम को उम्मीद है कि यशपाल आर्य के पार्टी में शामिल होने से कांग्रेस से दूर हुआ हुआ दलित मतदाता दोबारा पार्टी के करीब आएगा और 2022 के चुनाव में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित होगी.

यशपाल का दावा- कांग्रेस की जीत तय

इधर, यशपाल आर्य का भी दावा है कि 2022 में कांग्रेस की जीत तय है. आर्य ने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी ने गरीबों और शोषित वर्ग के लिए कोई काम नहीं किया. इसलिए इस वर्ग का साथ इस बार के चुनाव में कांग्रेस को मिलेगा. कांग्रेस नेताओं का आपसी समन्वय पार्टी की नई सोशल इंजीनियरिंग की ओर इशारा कर रहा है. कांग्रेस कैंपेन कमेटी के चेयरमैन हरीश रावत दलित नेता यशपाल आर्य को साथ लेकर चल रहे हैं. पहले दोनों नेताओं ने हल्द्वानी में रैली की और इसके बाद भगवान बद्री विशाल के दर्शन किए और इसके बाद पिथौरागढ़ से लेकर देहरादून तक रावत यशपाल आर्य के साथ घूमते हुए दिख रहे हैं.

बीजेपी का भरोसा संगठन, धामी और मोदी

कांग्रेस जहां सोशल इंजीनियरिंग के सहारे जीत की तैयारियों में जुटी है, वहीं बीजेपी अपने मजबूत संगठन, युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पीएम नरेंद्र मोदी के नाम व काम के दम पर 2022 में दोबारा सत्ता में वापसी की तैयारी कर रही है. बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मोदी सरकार में रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने  कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि 70 साल तक देश में राज करने के बाद भी कांग्रेस ने दलितों और शोषित वर्ग के लिए कोई काम नहीं किया है. भट्ट के मुताबिक कांग्रेस ने इस वर्ग को केवल वोट बैंक की राजनीति से देखा है, जबकि बीजेपी ने 2014 में सत्ता संभालते ही सबका साथ सबका विकास फार्मूले पर काम किया है. इसलिए बीजेपी को 2022 के चुनाव में भी सभी वर्गों का साथ मिलेगा. उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सारी सोशल इंजीनियरिंग धरी की धरी रह जाएगी.

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