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Uttarakhand Chunav : धर्मों-जातियों में कैसे बंटे हैं उत्तराखंड के वोटर? क्या है BJP-कांग्रेस का वोटबैंक?

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देहरादून. उत्तराखंड में चुनावी सरगर्मियां शुरू हो चुकी हैं और चुनाव आयोग 14 फरवरी को राज्य भर में वोटिंग की तारीख तय कर चुका है. राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करने के अंतिम चरणों में हैं, तो इस वक्त पार्टियां खास तौर से जातिगत और सामुदायिक समीकरणों को साधने की कोशिश भी कर रही हैं. उत्तराखंड की कुल आबादी 1 करोड़ से कुछ ज़्यादा है और महत्वपूर्ण बात यह है कि देवभूमि कहा जाने वाला प्रदेश जाति के आधार पर सवर्णों का प्रदेश भी कहा जा सकता है. यानी यहां जाति के अलावा समुदायों को भी साधना होता है.

उत्तराखंड देश में इकलौता राज्य है जहां सवर्णों की आबादी करीब 62 फीसदी है. इसे समझने के लिए पहले राज्य की आबादी के आंकड़ों को समझना ज़रूरी है. राज्य की कुल आबादी में से करीब 83 फीसदी हिंदू हैं और करीब 14 फीसदी मुस्लिम. यानी हिंदुओं की संख्या 83.6 लाख से ज़्यादा है और मुस्लिमों की 14 लाख से ज़्यादा और 2.34 प्रतिशत सिखों की आबादी करीब ढाई लाख की है. इस आंकड़े के हिसाब से तकरीबन 50 लाख वोटर सवर्ण हैं. कहा जा सकता है कि सत्ता की चाबी इन्हीं के हाथ में है और ये पार्टियों के बीच किस तरह बंटते हैं, इसी से सरकार का भविष्य तय होता है.

क्या है डेमोग्राफी यानी जातियों का गणित?
उत्तराखंड की आबादी के ग्राफ में 62 फ़ीसदी सवर्ण वोटर्स हैं जबकि 19 फ़ीसदी दलित, जिन्हें औपचारिक तौर पर एससी श्रेणी में शुमार किया जाता है. करीब 5 फ़ीसदी अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग के वोटर हैं. 62 फ़ीसदी वोटर्स साफ तौर पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच बंटे हुए हैं. मुस्लिम और दलित आबादी भी दोनों पार्टियों के बीच बंटती रही है. इस बार जातियों को साधने के गणित अहम होने वाले हैं.

इस बिसात पर कौन मारेगा बाज़ी?
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दावे कर रही हैं कि तमाम वर्गों के वोटर उनकी पार्टी के साथ खड़े हैं. कांग्रेस ने दलितों के वोट साधने के लिए बीजेपी सरकार छोड़कर आए यशपाल आर्य को चेहरा बनाने का दांव खेला है, तो उनके मुकाबले में बीजेपी अब भी एक चेहरे की तलाश में है. इसके अलावा, मुस्लिमों की आबादी के वोट भी एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं और इस बार कहा जा रहा है कि यह ऊंट कांग्रेस की तरफ करवट लेता दिख रहा है.

वोटरों से मिले डेटा के विश्लेषण पर आधारित एक रिपोर्ट की मानें तो इस बार 57% ब्राह्मण, 60% राजपूत और 38% दलित भाजपा की तरफ झुके दिख रहे हैं. वहीं 62% दलित, 43% ब्राह्मण और 40% राजपूत वोटर कांग्रेस का दावा मज़बूत मान रहे हैं. हालांकि इस रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी व अन्य क्षेत्रीय दलों के प्रति वोटरों के झुकाव पर डेटा नहीं है. वैसे, पुराने रिकॉर्ड्स बताते हैं कि भाजपा और कांग्रेस के बीच ही ज़्यादातर वोटर बंटे रहे हैं.

आपके शहर से (देहरादून)

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Tags: Caste politics, Uttarakhand Assembly Election

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