उत्तराखंड

Uttarakhand Culture : छठ के बाद अब बूढ़ी दिवाली की छुट्टी, CM धामी ने ‘इगास’ पर चला बड़ा दांव

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हल्द्वानी. पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को एक और बड़ा फैसला करते हुए एक और लोक पर्व पर अवकाश की घोषणा की. गढ़वाल में इगास के नाम से और कुमाऊं में बूढ़ी दीवाली के नाम से मनाए जाने वाले इस त्यौहार पर सरकारी छुट्टी का ऐलान करते हुए सीएम धामी ने सोशल मीडिया पर कुमाऊंनी बोली में लिखा कि ‘उत्तराखण्ड की समृद्ध लोकसंस्कृति कु प्रतीक लोकपर्व ‘इगास’ पर अब छुट्टी रालि. हमारू उद्देश्य च कि हम सब्बि ये त्यौहार तै बड़ा धूमधाम सै मनौ, अर हमारि नई पीढी भी हमारा पारंपरिक त्यौहारों से जुणि रौ.’ हालांकि इस साल इगास 14 नवंबर यानी रविवार को है तो अवकाश तो रहेगा ही, लेकिन इस फैसले से भविष्य में इस पर्व पर छुट्टी का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन सियासत की बात यह है कि इस घोषणा के पीछे किन फैक्टरों ने काम किया.

कुमाऊंनी बोली में लिखे सीएम के ट्वीट का अर्थ इस ​तरह निकला, ‘उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति के प्रतीक लोक पर्व इगास पर अब छुट्टी होगी. हमारा उद्देश्य है कि हम सब इस त्यौहार को धूमधाम ने मनाएं और हमारी नई पीढ़ी इस लोक पर्व इगास के बारे में जाने.’ 21 साल के उत्तराखंड में किसी भी सरकार ने लोक पर्व इगास को लेकर सरकारी छुट्टी का ऐलान पहले कभी नहीं किया था. सीएम धामी की छुट्टी वाली घोषणा से प्रदेश के संस्कृति प्रेमी खुश हैं, तो कुछ जानकार इसे सियासत से जोड़कर भी देख रहे हैं.

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इगास पर अवकाश के संबंध सीएम धामी का ट्वीट.

छठ पर छुट्टी को लेकर निशाने पर थे धामी
माना जा रहा है कि उत्तराखंडी संस्कृति को तवज्जो देने का दबाव एक बड़ा फैक्टर रहा, जिसके चलते धामी ने उत्तराखंड के इगास पर छुट्टी घोषित की. उत्तराखंड की लोक संस्कृति को लेकर कुछ लोग लगातार सोशल मीडिया पर सरकार को निशाना बनाए हुए थे. बिहार और पूर्वी उत्तर-प्रदेश में खास तौर से मनाए जाने वाले छठ पर्व पर उत्तराखंड में भी सरकारी छुट्टी का ऐलान करने को लेकर सरकार पर सवाल खड़े हो रहे थे.

आप के कार्यक्रम और मांग रहे कारण?
दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नवीन पिरशाली ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इगास पर लोक कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी थी. पिरशाली ने कहा था कि आप कार्यकर्ता गांवों में जाकर उत्तराखंड के इस त्योहार को धूमधाम से मनाएंगे. पिरशाली ने मांग भी की थी कि उत्तराखंडी संस्कृति के प्रतीक इस त्योहार के लिए सरकार को छुट्टी घोषित करना चाहिए.

बलूनी और भट्ट ने दिया धन्यवाद
राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का दावा है कि पिछले तीन सालों से इगास पर्व को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की कोशिश में जुटे हैं. पिछले सालों में बलूनी कैंसर से जूझते हुए अपने गांव जाकर पर्व मना नहीं पाए थे और तब बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने बलूनी के गांव पहुंचकर उनकी जगह इगास मनाया था. बलूनी प्रवासी उत्तराखंडियों से भी अपने गांवों में जाकर इगास मनाने की अपील कर रहे हैं. धामी के सरकारी छुट्टी के ऐलान पर तुरंत बलूनी ने धन्यवाद दिया. केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट ने भी इगास पर छुट्टी घोषित करने के लिए धामी को धन्यवाद कहा.

क्या है इगास और इसका महत्व?
पहाड़ों में दीपावली के मुख्य त्यौहार के ठीक 11 दिन बाद मनाए जाने वाले इस त्यौहार का अपना महत्व है. लोक कथाओं के मुताबिक भगवान राम के लंका जीतने और अयोध्या वापसी की खबर पहाड़ों में 11 दिन देरी से पहुंची थी इसलिए पहाड़ के लोग दीपावली के 11 दिन बाद जश्न मना सके थे. सदियों से 11 दिन बाद यहां बूढ़ी दीवाली मनाने का चलन है. इस त्योहार पर रात को भैलो खेला जाता है, जिसमें मशाल हाथ में लेकर दीवाली खेली जाती है. साथ ही मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है और घरों में पहाड़ के परंपरागत पकवान बनाए जाते हैं.

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