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Uttarakhand Election 2022: देवभूमि के रण में कितनी अहम होगी 7 पूर्व मुख्यमंत्रियों की भूमिका!

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हल्द्वानी. उत्तराखंड में कांग्रेस के पास जहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ही एकमात्र बड़े चेहरे के तौर पर सामने हैं, वहीं बीजेपी के पास पूर्व मुख्यमंत्रियों और बड़े चेहरों की भरमार है. ऐसे में इन बड़े चेहरों का इस्तेमाल 2022 विधानसभा चुनाव में क्या होगा? इसे लेकर तरह तरह की अटकलें भी हैं और संशय भी. राज्य बनने के बाद दस नेता मुख्यमंत्री बन चुके हैं, जिनमें से बीजेपी के पास एक वर्तमान और छह पूर्व मुख्यमंत्री हैं. जबकि कांग्रेस के पास मात्र हरीश रावत ही पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव में बीजेपी छह पूर्व मुख्यमंत्रियों का क्या इस्तेमाल करेगी, इस पर सबकी नज़र है.

उत्तराखंड में कांग्रेस से एनडी तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत मुख्यमंत्री रह चुके हैं. बीजेपी से नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, बीसी खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नाम शामिल है. नित्यानंद स्वामी और एनडी तिवारी का निधन हो चुका है और विजय बहुगुणा 2016 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इस तरह से भाजपा के पास 6 पूर्व सीएम हैं और कांग्रेस के पास एक. कांग्रेस तो हरीश रावत की अगुवाई में ही चुनाव लड़ रही है, लेकिन भाजपा पूर्व सीएम की क्या भूमिका मान रही है?

यहां देखें बीजेपी के 59 उम्मीदवारों की सूची

क्या चुनाव मैदान में होगा कोई पूर्व सीएम?
चुनाव की तैयारियों के ​मद्देनज़र बनी विभिन्न तरह की कमेटियों में पार्टी ने इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को जगह दी. चुनाव के समय इनकी क्या भूमिका होगी? ये तय होना बाकी है. बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी की तरफ से कोई पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव मैदान में होगा? भाजपा ने 70 में से 59 सीटों के लिए उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट जारी की है, उसमें किसी पूर्व सीएम का नाम नहीं है. शेष 11 सीटों के लिए सूची भी इसी हफ्ते जारी करने की बात भाजपा ने कही है.

कौन पूर्व सीएम क्या कर रहा है?
पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी इस समय महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं इसलिए वो प्रत्यक्ष राजनीति से दूर हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी उम्र के चलते सक्रिय राजनीति से दूर हैं. रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार और तीरथ सिंह रावत गढ़वाल से सांसद हैं. ऐसे में इन्हें विधानसभा के चुनावी मैदान से दूर रखा जाएगा. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिठ्ठी लिखकर चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं. विजय बहुगुणा को भी टिकट की संभावना नहीं है क्योंकि उनके बेटे को टिकट पार्टी ने दे दिया है. यानी तय है कि बीजेपी इन पूर्व सीएम का इस्तेमाल स्टार प्रचारकों के तौर पर ही करेगी.

कांग्रेस ने दी है रावत को बड़ी भूमिका
कांग्रेस की तरफ से तो पूरा का पूरा चुनावी दारोमदार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सिर ही है. 2017 में ऊधम सिंह नगर की किच्छा और हरिद्वार की ग्रामीण सीटों से चुनाव हारे हरीश् रावत के इस बार एक सीट से चुनाव लड़ने की बात लगभग तय मानी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक हरीश रावत के करीबियों ने पिथौरागढ़ ज़िले की डीडीहाट, अल्मोड़ा की सल्ट और नैनीताल की रामनगर सीटें छांटी हैं, जिन्हें लेकर मंथन चल रहा है. कहा जा रहा है कि अंतिम फैसला हरीश रावत का ही होगा कि वो कहां से चुनाव मैदान में होते हैं.

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Tags: Uttarakhand Assembly Election, Uttarakhand politics

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