Uttarakhand Election : ‘एक परिवार एक टिकट’, कांग्रेस में ये फॉर्मूला चलेगा या परिवारवाद?
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देहरादून. उत्तराखंड चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों के भीतर की कलह और सियासत की सुर्खियों के बीच एक बार फिर कांग्रेस के भीतर टिकट दिए जाने की प्रणाली चर्चाओं के केंद्र में है. एक तरफ कांग्रेस कई मौकों पर यह बात दोहरा चुकी है कि एक परिवार को एक टिकट दिए जाने का फॉर्मूला चलाया जाएगा, लेकिन उत्तराखंड चुनाव से पहले स्थिति काफी पेचीदा दिख रही है. खास तौर से इस चर्चा में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत केंद्र में हैं, जिनके बेटे और बेटियां भी टिकट की रेस में हैं. हरीश रावत का विरोधी खेमा इस पूरी कवायद पर सवाल भी खड़े कर रहा है, तो कोई भी नेता मुखर नहीं है क्योंकि इसका भी कारण है.
खबरों की मानें तो रेस ही नहीं, हरीश रावत के परिवार की अगली पीढ़ी विधानसभा चुनाव के मैदान में बतौर प्रत्याशी उतरने की उम्मीदें लगाए बैठी है. रावत की बेटी अनुपमा रावत फिलहाल महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव हैं और वह उत्तराखंड चुनाव 2022 में एक नहीं बल्कि 3 अलग अलग सीटों से दावेदारी पेश कर चुकी हैं. समाचार एजेंसी एएनआई ने कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी से जुड़े एक नेता के हवाले से कहा कि हरिद्वार में तीन अलग विधानसभा क्षेत्रों से अनुपमा ने पार्टी से टिकट की मांग कर दी है. टिकट के लिए हरीश रावत के बेटे भी पीछे नहीं हैं.
हरीश रावत के कुनबे में बंटेंगे टिकट?
उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान के प्रमुख हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र ने एक सीट से टिकट की मांग की है, जबकि दूसरे बेटे आनंद ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जता है. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक वीरेंद्र ने जिस सीट से टिकट मांगा है, वह उन सीटों में से एक है, जहां से अनुपमा ने दावेदारी की है. आनंद पांडे की अगुवाई वाली स्क्रीनिंग कमेटी में देवेंद्र यादव, प्रीतम सिंह के साथ ही हरीश रावत और उनके कैंप के समर्थक गणेश गोदियाल भी शामिल हैं.
हरीश रावत के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट.
पावर कैंप या कॉमन पॉलिसी?
रावत ने पिछले दिनों फेसबुक पर लिखा भी कि वह अब अपने बेटी बेटों की चिंता भी कर रहे हैं. 19 दिसंबर के एक फेसबुक पोस्ट में रावत ने लिखा था, ‘प्रोत्साहन तो मैंने कभी दिया नहीं, लेकिन मेरी ढिलाई के कारण वो भी इस काम में लग गए, उनकी चिंता होती है क्योंकि उनके प्रति भी मेरा दायित्व है, मगर राज्य के प्रति जनता के प्रति दायित्व बड़ा है.’ हालांकि कांग्रेस नेतृत्व का कहना है कि एक कॉमन पॉलिसी बनानी ही होगी क्योंकि कई नेता अपने परिवार के लिए टिकट चाह रहे हैं.
कांग्रेस के कद्दावरों की फैमिली पॉलिटिक्स?
1. पिछले साल दिवंगत इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित ने चुनाव लड़ने की ख्वहिश ज़ाहिर की है.
2. हृदयेश के बाद नेता प्रतिपक्ष बने प्रीतम सिंह भी अपने बेटे अभिषेक के लिए टिकट चाह रहे हैं.
3. भाजपा सरकार में मंत्री पद छोड़कर कांग्रेस में लौटे यशपाल आर्य अपने बेटे संजीव के लिए चुनाव का टिकट मांग रहे हैं.
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Tags: Assembly elections, Harish rawat, Uttarakhand Assembly Election, Uttarakhand Congress
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