उत्तराखंड

Uttarakhand Election : कांग्रेस में बगावत हमेशा रही रोड़ा, इस बार पार्टी सतर्क पर बागियों के हौसले भी बुलंद

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हल्द्वानी. उत्तराखंड में 2022 के चुनावी गुणा-भाग के बीच नैनीताल ज़िले में एक बार फिर कांग्रेस को बगावत का डर सताने लगा है क्योंकि ज़िले की छह में से चार विधानसभा सीटों में बगावत के कारण पार्टी को पिछले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. खास बात ये है कि बगावत कर चुके कुछ चेहरे तो एक बार फिर कांग्रेस संगठन में अहम पदों में बैठकर चुनावी तैयारियों में जुटे हैं. यही नहीं, पहले बगावत का रास्ता पकड़ चुके ये नेता बातों ही बातों में अपनी ताकत का अहसास भी करा रहे हैं.

बगावती नेताओं की ताकत का अहसास कांग्रेस को भी बखूबी है क्योंकि कालाढूंगी से महेश शर्मा दो बार, लालकुआं से हरीश चंद्र दुर्गापाल एक बार और हल्द्वानी से हरेंद्र बोरा एक बार अपने बागी तेवर दिखा चुके हैं. 2007 में इंदिरा हृदयेश के खिलाफ मोहन पाठक ने बगावत करके ताल ठोकी थी. चूंकि इन सभी मौकों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था इसलिए कांग्रेस इस बार काफी सतर्क है.

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दूसरी तरफ, चूंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस से बगावत कर चुके नेता जीत का स्वाद चख चुके हैं इसलिए बागी तेवर वाले नेताओं के हौसले बुलंद हैं. साल 2012 में लालकुआं से बगावती रहे हरीश चंद्र दुर्गापाल तो जीतने के बाद मंत्री भी बने. यही नहीं, भीमताल से राम सिंह कैड़ा 2017 में बगावत कर विधायक बन गए. ऐसे में 2022 में ये बागियों से कांग्रेस को डेंट न लगे, इसकी तैयारी पार्टी अभी से करने का दावा कर रही है.

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