Uttarakhand Politics: हरीश रावत का बड़ा बयान, सरकार बनी तो हेट स्पीच देने वालों पर होगा एक्शन
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देहरादून. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान हरीश रावत लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. पिछले 24 घंटों के दौरान हरीश रावत अपने कुछ बयानों के कारण भी खबरों में बने रहे. इनमें सबसे बड़ा ऐलान यह रहा कि 2022 चुनाव के बाद अगर कांग्रेस की सरकार बनी, तो हरिद्वार में हेट स्पीच मामले में दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा, हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी का मामला हो या डीडीहाट से रावत के चुनाव लड़ने की चर्चा, कई कारणों से रावत सुर्खियों में बने रहे. रावत के चुनाव लड़ने की चर्चा में भाजपा सरकार में मंत्री बिशन सिंह चुफाल भी चुटकी लेने से खुद को रोक नहीं सके.
पिछले दिनों हरिद्वार में धर्म संसद के आयोजन से जुड़े वो वीडियो वायरल हुए थे, जिसमें एक समुदाय के प्रति हेट स्पीच दिए गए थे. इस मामले में बड़ी अदालतों के दखल के बाद यति नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण उर्फ वसीम रिज़वी जैसे कुछ लोगों की गिरफ्तारी पिछले दिनों हुई है, लेकिन आरोप यही लग रहे हैं कि कार्रवाई की रफ्तार बहुत सुस्त है. इस मामले पर बड़ा बयान देते हुए हरीश रावत ने एक इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस के सरकार बनाते ही कड़ा एक्शन लिया जाएगा. यही नहीं, रावत ने कांग्रेस में कलह से इनकार करते हुए दावा किया कि कांग्रेस उत्तराखंड चुनाव में जीत दर्ज करने जा रही है.
‘रावत को सियासी भविष्य का कुछ पता नहीं’
सूत्रों के हवाले से बुधवार को खबरें थीं कि कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत के एक सीट से चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं. इसके बाद चर्चा होने लगी कि रावत पिथौरागढ़ ज़िले के डीडीहाट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. इन चर्चाओं पर यहां से लगातार विधायक रहने वाले बिशन सिंह चुफाल ने कहा कि रावत अपना राजनीतिक भविष्य तय नहीं कर पा रहे हैं इसलिए कभी रामनगर तो कभी डीडीहाट से चुनाव लड़ने की बात कहते हैं, तो कभी चुनाव न लड़ने की भी.
हरक को लेकर क्या है हरीश रावत का रुख?
भाजपा से निष्कासित किए गए हरक सिंह रावत कांग्रेस में वापसी की भरसक कोशिशें कर रहे हैं, लेकिन खबरें यही कह रही हैं कि हरीश रावत इसमें बाधा बने हुए हैं. हरक के माफी मांग लेने के बाद हालांकि हरीश रावत कह चुके हैं कि ‘छोटे भाइयों की गलतियों को माफ करना पड़ता है.’ यही नहीं, हरीश रावत हर बार यही बात दोहरा रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी और आलाकमान को ही हरक की वापसी पर फैसला लेना है, उन्हें नहीं.
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