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Uttarakhand Politics: कांग्रेस में महा-बगावत! टिकट नहीं मिला तो असंतुष्ट बुला रहे समर्थकों की महापंचायत

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हल्द्वानी. इंदिरा गांधी ने कभी कहा था, ‘कांग्रेस को कोई और पार्टी नहीं, सिर्फ कांग्रेस ही हरा सकती है.’ उत्तराखंड चुनाव के सिलसिले में कांग्रेस की दूसरी लिस्ट के ऐलान के साथ ही पार्टी में बगावत के सुर मुखर हो गए हैं. विशेष तौर पर कुमाऊं में. नैनीताल ज़िले की तीन सीटों पर सोमवार को टिकटों का ऐलान हुआ, लेकिन इन तीनों पर कई नेता नाराज़ हैं. कालाढूंगी, लालकुआं के साथ ही रामनगर सीट भी असंतोष का गढ़ बन गई है. रामनगर से हरीश रावत के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद कहा जा रहा है कि प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. उनके बेटे ने तो निर्दलीय नामांकन भरने की कवायद शुरू कर दी है.

कालाढूंगी में कांग्रेस ने बीजेपी से मंत्री बंशीधर भगत के मुकाबले पूर्व मंत्री महेंद्र पाल को टिकट दिया. वहीं, लालकुआं से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हरेंद्र बोरा, पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल को नज़रअंदाज करते हुए पूर्व ब्लॉक प्रमुख संध्या डालाकोटी को मैदान में उतारा. इधर, रामनगर से रणजीत सिंह रावत की दावेदारी को खारिज करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चुनावी मैदान में हैं. अब रणजीत सिंह रावत का खेमा नाराज़ बताया जा रहा है. उनके बेटे सल्ट से ब्लॉक प्रमुख विक्रम रावत ने सल्ट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान तक कर दिया है.

क्या हैं अंदरूनी कलह के हालात?
कालाढूंगी से टिकट न मिलने से कांग्रेस के प्रदेश महासचिव महेश शर्मा नाराज़ बताए जा रहे हैं. शर्मा इस सीट से नंबर-वन दावेदार थे लेकिन पार्टी ने पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल को चुनाव मैदान में उतार दिया. शर्मा ने मंगलवार को अपने घर पर समर्थकों की महापंचायत बुलाई है. शर्मा पहले भी 2012 और 2017 में कांग्रेस छोड़कर पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं. ऐसे में शर्मा एक बार फिर चुनावी मैदान में हों तो हैरानी की बात नहीं.

लालकुआं सीट पर भी खूब बगावत है. यहां से पूर्व मंत्री दुर्गापाल और 2012 में कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ चुके हरेंद्र बोरा भी नाराज़ हैं. दोनों ने ही अपने समर्थकों की खुली महापंचायत बुलाई है. दोनों नेता संध्या डालाकोटी को टिकट देने के फैसले का विरोध कर रहे हैं. रामनगर से कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत भी बड़ा ऐलान कर सकते हैं. रणजीत सिंह के समर्थक नेता भी हरीश रावत को टिकट मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं.

यहां भी दिख चुके हैं बग़ावती तेवर
कांग्रेस में टिकटों के ऐलान के साथ ही किच्छा, बाजपुर, जसपुर, गजरपुर, सितारगंज, गंगोलीहाट जैसी सीटें भी बगावत में उलझ गई हैं. इधर, दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप से भी नहीं चूक रही हैं. उत्तराखंड भाजपा के प्रवक्ता शादाब शम्स का आरोप है कि कांग्रेस में अंदरूनी कलह की हालत जूतमपैजार तक की है. वहीं, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि टिकट बांटना पार्टी का अंदरूनी मामला है, इसे लेकर पार्टी को राजनीतिक सफाई देने की ज़रूरत नहीं है.

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Tags: Uttarakhand Assembly Election, Uttarakhand Congress dispute, Uttarakhand congress ticket distribution

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