उत्तराखंड कांग्रेस में कलह क्यों, CM फेस अस्पष्ट क्यों, कौन दलित होगा सीएम? जैसे सवालों पर क्या बोले हरीश रावत?
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देहरादून. उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर क्या सब कुछ ठीक है? कोई खटपट तो नहीं है? इस सवाल के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री (Former CM) हरीश रावत का कहना है कि जो राजनीतिक पार्टी लोकतांत्रिक ढंग से चलती है और जिसके पास भविष्य की संभावनाओं वाले नेता होते हैं, उस पार्टी में विचार और मतभेद पैदा होते रहते हैं. यह घर के भीतर होने वाली स्वस्थ बहस जैसा माहौल होता है, इसे खटपट या कलह जैसे शब्द मीडिया या विपक्ष के लोग देते हैं. हरीश रावत ने कांग्रेस के भीतर ‘एक फैमिली एक टिकट’, अपने चुनाव लड़ने, दलित सीएम जैसे सवालों के जवाब किस खूबी के साथ दिए, देखिए.
News18 से बातचीत करते हुए हरीश रावत ने खुलकर बातचीत की और कई अहम सवालों के जवाब दिए. वहीं, कुछ सवालों के जवाब वह टाल भी गए. मसलन, जब रावत से पूछा गया कि क्या कांग्रेस के ‘एक परिवार एक टिकट’ फॉर्मूले को वह अपने पर लागू करेंगे? तो उन्होंने कहा कि वह पार्टी की गाइडलाइन के रास्ते में नहीं आएंगे. जबकि उनकी बेटी और बेटे चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी पेश कर चुके हैं, रावत ने इस सवाल से बचना ही ठीक समझा. वहीं, अपने चुनाव लड़ने के सवाल का जवाब भी उन्होंने आलाकमान के फैसले पर छोड़ दिया.
सीएम चेहरे के ऐलान पर क्या बोले रावत?
— 2002 में कांग्रेस ने मुझे चेहरा बनाया था, 2022 में पार्टी ही इस बारे में तय करेगी. व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि पार्टी को सीएम चेहरे घोषित करने चाहिए ताकि राज्यों में हम स्पष्ट नेतृत्व को मज़बूत कर सकें और फिर विरोधी पार्टियों को केंद्र में चुनौती दे सकें.
बयान पर माफ़ी क्यों मांगी?
— पहले हमारी लीडरशिप ने कहा, ‘मेरे नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा’. फिर उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी और फिर मैंने भी इसे दोहरा दिया. लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि विनम्रता से कहना चाहिए था इसलिए मैंने माफी क्योंकि उत्तराखंड अहंकार बर्दाश्त नहीं करता.
कांग्रेस की अंतर्कलह पर रावत ने क्या कहा?
— प्रीतम सिंह छोटे भाई हैं और बरसों मेरे सहयोगी रहे हैं. पार्टी के भीतर कोई विरोधी नहीं है. हमारी पार्टी लोकतांत्रिक है इसलिए सवाल ज़्यादा उठते हैं. जो पार्टियां अलोकतांत्रिक हैं, रेजिमेंटल हैं, वहां कहीं से फरमान आते हैं और सवाल करने की इजाज़त नहीं होती.
हरीश रावत ने विपक्ष की नीतियों और विचारधारा की आलोचना की.
विपक्ष को रावत ने कैसे आड़े हाथों लिया?
— उत्तराखंड में जो कुछ निर्माण हुआ है, जो औद्योगिकीकरण हुआ, सड़कों का जाल बिछा, प्रति व्यक्ति आय बढ़ी, वह सब कांग्रेस ने किया… दलबदल करने वाले नेताओं की कांग्रेस में वापसी हो सकती है लेकिन हम उन कार्यकर्ताओं का हक नहीं मारेंगे, जिन्होंने बुरे समय में पार्टी का साथ दिया था… वैसे भी भाजपा में उछलकूद मचाने के लिए कोई तो रहना ही चाहिए… निशुल्क सुविधाएं देने की राजनीति आप हमसे कॉपी कर रही है. हमारा मुकाबला लोकतंत्र विरोधी भाजपा से है.
क्या रावत ने कांग्रेस को हाईजैक कर लिया है?
— अगर इसमें कुछ सच भी है तो यह कॉम्प्लीमेंट की तरह लेता हूं. मैं तो उत्तराखंड कांग्रेस की बालिका वधू हूं. पार्टी से ऊपर नहीं, पार्टी के संग खड़ा हूं… अगर हरीश रावत में उत्तराखंड कांग्रेस रिफलेक्ट करती है, तो मेरे लिए अच्छी बात है. इसके लिए 55 साल मेहनत की है मैंने.
दलित सीएम कब बनेगा और कौन?
— पंजाब की तरह उत्तराखंड में दलित मुख्यमंत्री कांग्रेस बिल्कुल बनाएगी. मेरा यह बयान किसी रेडीमेड विकल्प को लेकर नहीं था, एक विचार था, जिसकी पूरी प्रक्रिया है और पार्टी में इस पर चिंतन चल रहा है. यशपाल आर्य उन चेहरों में से एक हैं, जिन्हें मैं उत्तराखंड में भविष्य में दलित सीएम के तौर पर देखता हूं.
किन नेताओं के लिए रावत क्या बोले?
राहुल गांधी — भविष्य की संभावना
प्रियंका — कांग्रेस की ताकत
नरेंद्र मोदी — बहक रहे हैं
सीएम पुष्कर सिंह धामी — बहुत कुछ सीखना बाकी है
प्रीतम सिंह — कांग्रेस की कल की संभावना
गोदियाल — कांग्रेस को आगे ले वाली ताकत
हरक सिंह रावत — बहका हुआ कदम
अनिल बलूनी — बीजेपी की कल की संभावना
सतपाल महाराज — खट्टे अंगूर कहने वाली लोमड़ी
इसके अलावा, हरीश रावत ने अन्य कई मुद्दों पर भी बातचीत की. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सिलसिले में ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ नारा देकर 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने का जो विचार खड़ा किया, उस पर रावत ने कहा कि उत्तराखंड में प्रत्याशियों की जीत की संभावना पर फैसले होंगे और दो प्रत्याशियों के बीच अगर 19-20 का अंतर हुआ तो प्राथमिकता महिलाओं को दी जाएगी.
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Tags: Assembly elections, Harish rawat, Uttarakhand Assembly Election
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