Uttarakhand Election: कांग्रेस को ’निपटाने’ की रणनीति! SP, BSP, AIMIM ने क्यों खड़े किए मुस्लिम उम्मीदवार?
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देहरादून. उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों में से जिन पर अल्पसंख्यक वोटरों की तादाद अच्छी खासी है, वहां कांग्रेस की चिंता का सबब समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM बनी हुई है. चूंकि ये पार्टियां चुनाव मैदान में मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दे चुकी हैं इसलिए कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि एक सीट पर एक से ज़्यादा मुस्लिम कैंडिडेट होने का मतलब यही है कि कांग्रेस को कमज़ोर करने की कोशिश की जा रही है. कुछ कांग्रेस नेता इन पार्टियों को चुनाव में ही नज़र आने वाली पार्टियां कहकर इनसे खतरा नहीं मान रहे हैं.
हरिद्वार ज़िले की बात करें तो कांग्रेस ने दो सिटिंग मुस्लिम विधायकों को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि AIMIM, सपा और बसपा ने हरिद्वार ज़िले व अन्य को मिलाकर करीब 18 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दे दिया है. कांग्रेस के राज्य महासचिव एमडी जोशी का कहना है, ‘इस सबके बावजूद वोटर काफी जागरूक हैं. उन्हें पता है कि मौसमी पार्टियां क्यों मैदान में हैं और किसे फायदा पहुंचाना चाहती हैं.’ उत्तराखंड की आबादी में करीब 14% मुस्लिम हैं, जो मुख्यत: हरिद्वार ज़िले में बसे हैं. साथ ही, उधमसिंह नगर, नैनीताल और देहरादून ज़िलों के कुछ हिस्सों में भी इनकी संख्या अच्छी है.
क्या है मुस्लिम प्रत्याशियों का गणित?
कई राजनीति पार्टियों के उम्मीदवारों को देखें तो राज्य में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी AIMIM ने हरिद्वार ग्रामीण, हल्द्वानी, खटीमा और किच्छा यानी 4 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी खड़े किए हैं. सपा ने हरिद्वार ग्रामीण, पिरान कलियर और हल्द्वानी में सबसे ज़्यादा 11 ऐसे टिकट दिए हैं. जबकि बसपा ने हरिद्वार ग्रामीण, लक्सर, मंगलौर सीटों पर एक एक मुस्लिम प्रत्याशी का टिकट दिया है.
हरिद्वार ग्रामीण सीट पर कांग्रेस परेशान क्यों?
दिलचस्प बात यह है कि सपा, बसपा और AIMIM सभी ने इस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी ज़रूर खड़े किए हैं. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत कांग्रेस की प्रत्याशी हैं. इस सीट पर मुस्लिम वोटर भी खासे हैं और कहा जाता है कि 2017 में बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी के कारण ही हरीश रावत को यहां से हार का स्वाद चखना पड़ा था. हरिद्वार ग्रामीण के अलावा, दो और सीटें इस लिहाज़ से अहम दिख रही हैं.
खटीमा और हल्द्वानी सीटें भी हैं खास
उधमसिंह नगर ज़िले की खटीमा सीट से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव मैदान में हैं, जहां वोटरों की आबादी मिली जुली है. इस सीट पर AIMIM ने प्रत्याशी खड़ा किया है तो कांग्रेस की मुसीबत और बढ़ गई है. वहीं, हल्द्वानी सीट पर इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित को कांग्रेस ने टिकट दिया है, तो सपा और AIMIM ने मुस्लिम प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं. इस सीट पर 30,000 से ज़्यादा मुस्लिम वोटर हैं. गौरतलब है कि कांग्रेस से AIMIM में जाकर प्रत्याशी बने मतीन सिद्दीकी यहां कद्दावर माने जाते हैं.
कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के बारे में AIMIM के प्रदेशाध्यक्ष नय्यर काज़मी ने कहा, ‘हम यहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए चुनाव मैदान में हैं, किसी के वोट काटने के लिए नहीं. हमने यहां सोच विचारकर प्रत्याशी खड़े किए हैं.’ हरिद्वार ज़िले में बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी को लेकर तीन बार कांग्रेस से विधायक रह चुके काज़ी निज़ामुद्दीन ने कहा, ‘कांग्रेस अपनी विश्वसनीयता के आधार पर वोट हासिल करेगी.’
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Tags: Uttarakhand Assembly Election, Uttarakhand Congress, Uttarakhand politics
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